टूटते परिवार, बिखरती गृहस्थियां इनका समाधान संयुक्त परिवार………. कोठिया
वर्तमान में हर समाज में परिवार का टूटना, जमी जमाई गृहस्थियों का बिखरना एक नई सामाजिक समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। मानव सेवा संस्थान गढ़ी के संस्थापक अजीत कोठिया ने इसका एक मात्र हल संयुक्त परिवार प्रथा को पुनः प्रारंभ करना ही बताया है। आज गृहस्थी की नींव ही कमज़ोर पड़ रही है। हर दिन किसी न किसी का घर घर खराब हो रहा है पर इसके कारण ओर जड़ पर कोई भी नहीं जा रहा है। शादी के बाद माता पिता की बेटी के परिवार में अनावश्यक दखलंदाजी इस का एक बड़ा कारण है। संस्कार विहीन शिक्षा, आपसी तालमेल का अभाव, बढ़ती बदजुबानी, सहनशक्ति की कमी, आधुनिकता का आडंबर ओर दिखावे की होड़, समाज का भय न होना, अपनों से अधिक गैरो की राय पर निर्भर रहना ओर परिवार से कटना वो कारण जो बिखराव की स्थिति पैदा करते है। पूर्व में संयुक्त ओर बड़े परिवार होते थे लेकिन उनमें वर्षों तक आपस में निभती थी, बड़ों का भय और प्रेम था और रिश्तों की मर्यादित जवाबदेही थी जो आज नहीं है। कोठिया ने कहा कि रही सही कमी मोबाइल ने पूरी कर दी।
आज कपल, गर्ल्स एवं फैमिली एंपावरमेंट जैसे कार्यक्रमों की जरूरत है जो परिवारजनो को साथ रहना सिखा सकतें हैं, मर्यादा का एहसास करा सकते हैं। मानव सेवा संस्थान की इस गोष्ठी में शामिल वक्ताओं ने सर्व सम्मति से वागड़ क्षेत्र में कपल एंपावरमेंट प्रोग्राम भारतीय जैन संघटना पुणे के माध्यम से आयोजित कराना तय किया।
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