टोंक शहर में वात्सल्य वारिधी आचार्य 108 श्री वर्धमान सागर जी महाराज स संघ के पावन सानिध्य में पिच्छिका परिवर्तन समारोह में सम्पूर्ण भारत वर्ष से आए श्रद्धालु
पिच्छिका परिवर्तन में उमड़ा जन समूह
वीतरागी 34 पिच्छिका धारी संतों का हुआ पिच्छिका परिवर्तन समारोह हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न
फागी संवाददाता
3 नवम्बर
श्री दिगंबर जैन नसियां टोंक शहर में विराजमान वात्सल्य वारिधी 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ का 3 नवम्बर 2025 को 34 पिच्छिका धारी संतों का पिच्छिका परिवर्तन समारोह आयोजन अनेक धार्मिक कार्यक्रमों के साथ आयोजित हुआ कार्यक्रम में समाज के प्रवक्ता पवन कंटान एवं विकास जागीरदार ने बताया कि आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज का ससंघ आदर्श नगर जैन मंदिर से विहार कर बैंड बाजों के साथ भव्य मंगल प्रवेश हुआ कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने 34 पिच्छिका अपने सिर के ऊपर लेकर सुशोभित करते हुए चल रहे थे और बड़े भक्ति भाव से नाचते गाते चल रहे थे इसके पश्चात आचार्य श्री का मंगल आगमन जैन नसियां में हुआ जहां पर महिला मंडल द्वारा मंगल कलशों से जयकारो के साथ स्वागत किया तत्पश्चात आचार्य वर्धमान सागर वर्षायोग समिति के द्वारा चांदी के कलशों से पाद प्रक्षालन कर आरती करने के बाद विशाल जनसमूह से खचाखच भरे पांडाल में पहुंचाया जहां पर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित और चित्र अनावरण आस्था जैन बोरदा, वालों ने की, नीलम, हेमा, रिंकी ग्रुप के द्वारा मंगला चरण के साथ कार्यक्रम का भव्य शुभारंम्भ हुआ
कार्यक्रम में पाद प्रक्षालन का श्रेष्ठी निहाल चंद बंगलौर, शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य पारसमल, राजेश पांड्या परिवार मदनगंज किशनगढ़ वाले को मिला तत्पश्चात आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज की विभिन्न मंडलों के द्वारा विभिन्न द्रव्यों से पूजा अर्चना की गई,जिसमें जल प्रबंध समिति जैन नसिया, चंदन वर्धमान सागर वर्षायोग समिति एवं जिनधर्म प्रभावना समिति, अक्षत काफला महिला मंडल, पुष्प आदर्श नगर महिला मंडल, नैवेद्य जिनवाणी महिला मंडल, दीप नसिया महिला मंडल, धूप जैन वूमन ग्रुप, फल आदिनाथ महिला मंडल, अर्घ्य चातुर्मास सेवा समिति, सहित कर्मठ कार्यकर्ता ने अष्ट द्रव्य समर्पित किए गए।इसके पश्चात आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज को नवीन पिच्छिका चातुर्मास समिति के महामंत्री धर्मेंद्र पासरोटियां ,प्रमिला पासरोटियां और हितेंद्र सागर जी महाराज को सोनू नीटू छामुनिया ने पिच्छिका भेट करने का सौभाग्य प्राप्त किया और पुरानी पिच्छिका ग्रहण करने का सौभाग्य मिला , इस मौके पर टोंक जिला प्रमुख सरोज नरेश बंसल ने जखीरा नर्सरी के सामने आयुष्मान हॉस्पिटल होते हुए nh -5 2तक मुख्य सड़क का नामकरण “प्राथमाचार्य शांतिसागर मार्ग”की घोषणा की इस मौके पर आचार्य वर्धमान सागर ने बताया कि दिगंबर जैन साधु का संयम उपकरण पिच्छिका और कमंडल है,यह जिन मुद्रा एवं करुणा का प्रतीक है, पिच्छिका और कमंडल साधु के स्वालंबन के दो हाथ है इनके बिना अहिंसा मय महाव्रत का पालन नहीं हो सकता आदान निक्षेपण समिति तथा प्रतिस्थापना समिति का पालन नहीं कर सकते ,इस कारण समस्त दिगम्बर साधु वर्ष में एक बार पिच्छिका का परिवर्तन करते हैं, आचार्य श्री ने पिच्छिका के गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह धूल ग्रहण नहीं करती, लघुता रहती है ,पसीना ग्रहण नहीं करती ,सुकुमार झुकने वाली होती है,यहां तक भी देखा गया है कि मोर पंख यदि आंखों में लग जाए तो चुभता नहीं है, इससे आंसू नहीं आते कष्ट नहीं होता,सबसे बड़ी बात यह है कि मयूर स्वयं पंख छोड़ते हैं इस कारण कोई हिंसा भी नहीं होती आज पिच्छिका कमंडल रूपी संयम रथ निरंतर चल रहा है,इसका श्रेय प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांति सागर जी महाराज को है यह मंगल देशना आचार्य शिरोमणि श्री वर्धमान सागर जी ने 34 साधुओं के पिच्छिका परिवर्तन समारोह के अवसर पर अतिशय क्षेत्र टोंक के श्री आदिनाथ जिनालय परिसर की महती धर्म सभा में श्रृद्धालुओं के समक्ष प्रगट की, आचार्य श्री ने आगे बताया कि जिन्होंने साधुओं को संयम उपकरणपिच्छिका देकर अनुमोदना की है, उन्होंने पुण्य का अर्जन किया है , मयूर पिच्छिका से कोमल वस्तु संसार में नहीं है इस महोत्सव को आपने आंखों से देखा है साधु मयूर पिच्छिका से सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवो की रक्षा करते हैं ,अहिंसा महाव्रत के परिपालन का अन्य कोई उदाहरण देखने में नहीं आता है आचार्य श्री संघ में सभी 34 साधुओं की पुरानी पिच्छिका नियमों व्रत के आधार पर पुण्यशाली परिवारों को दी गई। आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व समाधिस्थ संयम साधना में सलग्न 72 वर्षीय आर्यिका श्री वत्सल मति माताजी ने आचार्य श्री धर्म सागर जी से लेकर आचार्य श्री वर्धमान सागर जी का गुणानुवाद कर किया मंच संचालन मुनि श्री हितेंद्र सागर जी एवं कार्यक्रम संचालन पंडित मनोज शास्त्री ने किया संयम उपकरण पिच्छिका जिन मुंद्रा और अहिंसा करुणा का प्रतीक है समस्त दिगंबर साधु वर्ष भर में एक बार पिच्छिका परिवर्तन करते हैं, उक्त कार्यक्रम में जैन संतों ने
नवीन पिच्छिका से सभी श्रृद्धालुओं को मंगलमय आशीर्वाद प्रदान किया ,
इस मौके पर इंदौर, बंगलौर, किशनगढ़ , पारसोला,कोलकाता, सूरत, कोटा, जयपुर, सहित सम्पूर्ण भारत वर्ष से श्रृद्धालुओं ने गरिमामय उपस्थित दर्ज करवाकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान
















