तीर्थराज शिखर जी में भरत का भारत नाटक का भाव पूर्ण हुआ महामंचन

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11000 श्रद्धालु भक्तों की तीर्थराज सम्मेद शिखर जी यात्रा हर्षौल्लास से संपन्न

✍️ पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा की कलम से

दिल्ली
दिल वालों की नगरी दिल्ली से परम आदरणीय श्री पवन जी गोधा एवं श्री विजय जी जैन चांदीवाला परिवार के सौजन्य से 11000 श्रद्धालुओ के साथ तीर्थराज सम्मेद शिखरजी की वंदना की यात्रा दिनांक 15 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक ट्रेन फ्लाइट द्वारा हर्षोल्लास के वातावरण में संपन्न हुई।
दिनांक 18 अक्टुबर को मधुबन श्री सम्मेद शिखर जी में
भरत का भारत महानाट्य का भाव पूर्ण महामंचन रंगशाला की निदेशक धर्मनिष्ठ व्यवहार कुशल प्रतिभावान जैन रत्न श्रीमति साधना जी मादावत इंदौर द्वारा किया गया। इस महानाट्य के माध्यम से ऋषभ पुत्र भरत के नाम से ही इस देश का नाम भारत पड़ा ये बताया गया हे जिसको 165 देशों में करोड़ों लोगों ने आदिनाथ टी वी चैनल के माध्यम से देखा और खूब खूब सराहना की।
भरत का भारत महानाट्य की
प्रस्तुति से भावविभोर होकर कई श्रद्धालु भक्तों ने 31 हजार रु नकद का पुरस्कार प्रदान किया जिसे श्रीमति साधना जी मादावत ने बडी़ ही सौम्यता सादगी विनयपूर्वक मंच पर ही श्री पवन जी गोधा एवं ट्रस्टी गणों को वापस लौटा दिया। इस पुरस्कार राशि को ट्रस्टी गणों ने गौशाला के लिए तत्काल प्रदान कर दिया,
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा ने जानकारी देते हुवे बताया कि श्रीमति साधना जैन मादावत देवी अहिल्या की नगरी इंदौर / मुम्बई में रंगशाला प्रोडक्शन हाउस एवं नृत्य नाटक अकादमी की निर्देशिका है” ।
इनके द्वारा आज की युवा पीढ़ी, बाल पीढ़ी को जैन धर्म से जोड़ने के लिए पूरे देश में जैन धर्म के कथानकों , चरित्रों, चारित्रों गाथाओं पर आधारित नाटकों , महानाट्य की प्रस्तुति दी जाती है। एवं इनके प्रॉडक्शन हाउस के माध्यम से क‌ई फिल्मों का भी निर्माण किया गया है।
जिसमें प्रमुख हैं – प पू ग़णिनी आर्यिका श्री ज्ञानमति माताजी की जीवन गाथा पर आधारित फिल्म
” दिव्य शक्ति “।
सल्लेखना / संथारा पर आधारित फिल्म _ ” वीर गोम्मटेशा ‘”
कर्ज की वजह से
किसानों की आत्महत्या विषय पर आधारित ” फिल्म काकोली के राम ”
जो कि एक सकारात्मक फिल्म है और यह बताती है कि किस तरह एक रामलीला में राम की भूमिका निभाने वाला ग्रामीण किसान राम के जीवन से प्रेरित हो कर अपनी समस्याओं का हल ढूंढ कर उन समस्याओं पर विजय पाता है। जो अपनी बिन माँ की बच्ची
” काकोली ” का आदर्श पिता भी है।
फिल्म ” काकोली के राम ने क‌ई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये हैं।
तथा इसके अलावा क‌ई जैन तीर्थों पर डाक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण किया है। विश्व प्रसिद्ध कांच मन्दिर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्यूमेंट्री का निर्माण,
जज की प्रशासकीय सर्विस का त्याग कर , इनका मूल उद्देश्य जैन कथानकों के मंचन के माध्यम से पूरे देश में जैन धर्म , सनातन धर्म की प्रभावना करना है।।
इनकी टीम में जैन युवाओं एवं युवतियों की उभरती प्रतिभाओं को मौका दिया जाता है।
आज के माता पिता बच्चों को उच्च से उच्च शिक्षा देने पर तो जोर देते है परंतु उनमें धार्मिक, सामाजिक सद संस्कारो का बीजारोपण एवं संस्कृति सभ्यता संस्कारो से परिचय नहीं करवाते है आज बहुत बड़ी विडंबना है समाज में जिस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बचपन में दिए गए सद संस्कार पचपन की दहलीज पर पहुंचने के बाद भी ज्यों के त्यों बने रहते है।यह सार्वभौमिक सत्य है।
प्रस्तुति
पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा
राजस्थान
9414764980

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