तीर्थंकर नमि नाथ भगवान का जन्म तप कल्याणक तथा मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज का अवतरण दिवस मनाया………

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दिगंबर जैन समाज डडूका, जैन युवा समिति डडूका तथा प्रभावना महिला मंडल डडूका एवं दिगंबर जैन पाठशाला डडूका के संयुक्त तत्वावधान में जैन धर्म के 21वे तीर्थंकर भगवान नमि नाथ का जन्म तप कल्याणक पर्व पार्श्वनाथ जिनालय में पारंपरिक श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया। प्रातः जलाभिषेक के बाद तीर्थंकर को जन्म ओर तप कल्याणक के अर्घ्य समर्पित किए गए। समस्त आयोजन मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज के संसंघ सान्निध्य में संपन्न हुए। इसी क्रम में डडूका में प्रवासरत मुनि शुद्ध सागरजी महाराज का 39 वा अवतरण दिवस समाजजनों ने मनाया। मुनि श्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य धनपाल शाह, विमला देवी शाह, अंकित डी शाह एवं महावीर शाह ने प्राप्त किया। मुनि श्री को जिनवाणी भेंट करने का सौभाग्य बड़ौदिया से पधारे भूपेश तलाटीएवं अर्पित खोड़निया परिवार को प्राप्त हुआ। इससे पूर्व प्रातः मैना देवी रजनीकांत दोसी परिवार बागीदौरा ने श्री जी का जलाभिषेक किया।
अपने प्रवचनों में मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज ने संसार में लोगों की संग्रह प्रवृति पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि सब लोग लालच में आकर अधिकाधिक संग्रह कर रहे हैं जबकि उन्हें इतनी सारी सामग्री और धन संपदा की आवश्यकता नहीं है। संग्रह प्रवृति के कारण वह उन बच्चों के लिए संग्रह किए जा रहा है जो विदेश में बस गए हैं और शायद उनकी मौत पर भी अंतिम दर्शनों को न लौटे। ऐसे परिग्रह का क्या फायदा जो अनावश्यक तनाव दे। मुनि श्री ने कहा की ये सारा बुद्धि का खेल है, हर व्यक्ति कुछ नया करना चाहता है पर नया करने को दुनिया में कुछ है ही नहीं। अगर हम अपनी बुद्धि को व्यवस्थित करदे तो सारा संसार व्यवस्थित हो जाए पर हम करते उल्टा है की बुद्धि की बजाय संसार को व्यवस्थित करने में लगे हुए हैं जो कभी भी नहीं होना ओर इसीलिए हम दुखी रहते है।
डडूका में इन दिनों साधु संतों की विशेष प्रभावना हो रही है। आज शाम को ही परम विदुषी विग विज्ञान मति माताजी गढ़ी से संसंघ विहार कर डडूका पहुंची जिनकी जैन समाज डडूका द्वारा भव्य अगवानी की गई।

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