तीर्थंकर महावीर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में 300 प्रतियोगी हुए सम्मिलित

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बच्चे, अधेड़ और बुजुर्ग, 3 ग्रुपों में हुई प्रतियोगिता

मुरैना (मनोज जैन नायक) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित प्रतियोगिता का आयोजन बड़े जैन मंदिर मुरैना में किया गया ।
नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा जैन मंदिर में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज एवं आचार्य श्री आर्जवसागर महाराज के शिष्य मुनिश्री विलोकसागर महाराज एवं मुनिश्री विबोधसागर महाराज की पावन प्रेरणा, आशीर्वाद एवं सान्निध्य में तीर्थंकर भगवान महावीर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । जिसमें लगभग 300 प्रतियोगियों ने भाग लिया ।
प्रतियोगिता के शुभारंभ में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के चित्र का अनावरण मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्राचार्य अनिल जैन, पूर्व मंत्री पदमचंद जैन, प्रतियोगिता संयोजक डॉ. मनोज जैन, कोषाध्यक्ष वीरेंद्र जैन, राकेश जैन, विमल जैन ने एवं दीप प्रज्वलन मीडिया प्रभारी मनोज जैन नायक ने किया ।
उक्त प्रतियोगिता की व्यवस्थाओं में संघस्थ ब्रह्मचारी संजय भैयाजी, श्री गोपाल दिगंबर जैन संस्कृत विद्यालय के पूर्व प्राचार्य महेन्द्रकुमार शास्त्री, प्राचार्य चक्रेश शास्त्री, विद्वत नवनीत शास्त्री, एडवोकेट दिनेश जैन, अनिल जैन नायक गढ़ी, मनीष जैन बंदना साड़ी, सजल जैन बरहाना, कुमारी भूमि जैन, आदित्य जैन नायक ने विशेष सहयोग प्रदान किया ।
तीर्थंकर भगवान महावीर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के शुभारंभ में प्रतियोगियों को उद्वोधन देते हुए पूज्य मुनिराज श्री विलोकसागर महाराज ने कहा कि यह प्रतियोगिता या परीक्षा आपके ज्ञान की परीक्षा है, आपके स्वाध्याय की परीक्षा है । इसमें नकल नहीं करना, अक्ल से काम लेना है, अपनी बुद्धि और विवेक से ही जबाव देना है । यदि कोई जवाब नहीं आए तो उसे छोड़ देना । इस प्रतियोगिता को कराने का उद्देश्य मात्र इतना है कि सभी लोग भगवान महावीर के व्यक्तित्व व कृतित्व से भलीभांति परिचित हो सकें । इसके आधार पर हमने अभी तक के जीवन काल में “क्या खोया, क्या पाया हमने” का आंकलन करना है ।
. मीडिया प्रभारी मनोज जैन नायक ने बताया कि पूज्य गुरुदेव ने कहा कि अनेकों भवों के पुण्य से हमें मानव जन्म मिला है, वो भी जैन कुल में और भगवान महावीर स्वामी के शासन काल में मिला है । हम प्रतिदिन महावीर की वंदना करते हैं, उनकी पूजा, अर्चना, भक्ति करते हुए उनके सिद्धांतों का प्रचार प्रसार करते हैं, लेकिन महावीर को पहचानते नहीं हैं। जबकि विश्व के प्रत्येक प्राणी को भगवान महावीर स्वामी के व्यक्तित्व व कृतित्व से परिचित होना चाहिए । हम सच्चे अर्थों में भगवान महावीर के अनुयायी तभी कहलाएंगे जब स्वयं भगवान महावीर को जानें और दूसरों को भी भगवान महावीर से परिचित कराएं । भगवान महावीर को जानने का मतलब सत्य, अहिंसा, चोरी अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य को जानना है । “जियो और जीने दो” एवं अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को स्वीकार करना है । यदि आप वाकई में भगवान महावीर के भक्त हैं तो स्वयं महावीर के जीवन चरित्र को स्वीकारें एवं अन्य लोगों को भी उनके बारे में जानकारी दें ।
प्रतियोगिता के मुख्य संयोजक डॉ. मनोज जैन, सह संयोजक विमल जैन बघपुरा ने बताया कि तीर्थंकर महावीर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में बच्चे, अधेड़ एवं बुजुर्गों सहित लगभग 400 जैन अजैन प्रतियोगीयो ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से लगभग 300 प्रतियोगियों ने प्रतियोगिता में सहभागिता प्रदान की । जौरा नगर से लगभग 50 साधर्मी महिलाओं एवं बच्चों ने आकर उक्त प्रतियोगिता में हिस्सा लिया । प्रतियोगिता को तीन ग्रुपों में विभाजित किया गया । प्रथम ग्रुप में 8 से 18 आयु वर्ग के, द्वितीय ग्रुप में 19 से 30 आयु वर्ग के, तृतीय ग्रुप में 30 से अधिक आयु वाले प्रतियोगियों को रखा गया ।
प्रथम ग्रुप में 127, द्वितीय ग्रुप में 39 तृतीय ग्रुप में 132 प्रतियोगियों ने शिकायत की । प्रतियोगिता के परिणाम 25 मई की शाम को घोषित किए जायेगें । जिसमें तीनों ग्रुपों में अलग अलग प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार वितरित किए जायेगें ।

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