राजेश जैन दद्दू
इंदौर
जयदु जिणिंदो महावीरों | श्रुतसंवेगी श्रमण श्री आदित्यसागर जी महाराज जी ने राजस्थान कोटा में अपने प्रवचन में कहा कि, “Time Management is life management”. टाइम मॅनेजमेंट आपकी लाईफ मॅनेजमेंट है | आप श्रावकोंकी जिंदगी का वक्त बिखरा हुआ पडा है | न धागे से सम्भल पा रहे है, ना इटो से इतना बिखरा पडा है | क्योंकी टाईम मॅनेजमेंट ही नही है |
कोई काम आपके पास आया कर लेंगे, हो जायेगा | स्लीपिंग मॅनेजमेंट नही है | मोबाईल पे लगे हुए है, उंगलीया घिस गई लोगोंकी, उंगलीयों में सेन्स खतम हो गया है फिर भी घिसे जा रहे है | रात के दो बज गये है फिर भी घिसे ही रहे है |
कोई लाईफ मॅनेजमेंट ही नहीं बचा है | कोई टाईम मॅनेजमेंट ही नहीं बचा है | दो बजे सौ रहे है, तीन बजे सो रहे है, कई तो ऐसे है पांच बजे सो रहे है | हे भगवान थोडी बुद्धी दो इन लोगोंको | समय निकलने के बाद सिर्फ पछतावा होता है ध्यान रखना | जितना समय दुसरों के लिए दिया है उतना समय खुद के लिए देते तो ऊंचाईया पा लेते | कोई बात नही दे दिया तो दे दिया | अब जो टाइम बचा है। उसे तो रखीए अपने पास | खुद को समय दीजिए और ऊंचाईया पा लिजिए |
आध्यात्मयोगी, चर्या शिरोमणी, दिगंबराचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी के शिष्य श्रमण मुनी श्री आदित्य सागर महाराज जी जिन्होने M.B.A. (Gold Medalist) और B.B.A. जैसी शैक्षणीक योग्यता, संपन्न एवं समृद्ध परिवार, स्वर्ण-आभूषणों के प्रतिष्ठित व्यापार और सुकुमारिता से भरे भविष्य की कामनाओं को एक पल में किसी तृण के समान छोड़ देने का साहस किया।
“विशुद्ध-सागर” में ऐसी डुबकी लगाई कि सागर के अंदर जो गया वह थे “सन्मति”, पर जो बाहर आये वह थे “आदित्य” | जिन्होंने अनेकों को सत्पथ दिखाया है |
श्रुतसंवेगी श्रमण श्री आदित्यसागर जी महाराज जी धरातल पर प्रत्यक्ष दर्शन देने वाली उन भव्य आत्माओं में से एक हैं जिनका सान्निध्य, पारस मणि के स्पर्श के समान है | नमोस्तु शासन जयवंत हो |
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