चतुर्थ पटाधीश आचार्य सुनील सागर महाराज/
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान
10 जनवरी शुक्रवार ग्राम घटोल
आचार्य सुनील सागर महाराज ने अपार भक्तों को संबोधित में बताया कि अपने पराया का भेद लाए हैं दिल्ली जयपुर किशनगढ़ से चलते-चलते घाटोल आए हैं
आचार्य सुनील सागर महाराज ने बताया भारतीय संस्कृति में प्रदेश श शुभ कार्य के पहले तिलक का रिवाज देखा गया है चाहे किसी का विवाह का अवसर हो रक्षाबंधन का समय हो किसी अनुष्ठान का आयोजन हो कोई विशेष त्यौहार हो या फिर युद्ध के लिए प्रस्थान क्यों ना हो प्रत्येक जगह तिलक का एक विशिष्ट महत्व है
आखिर तिलक को और वह भी ललाट के बीचों बीच इतना महत्व क्यों दिया गया है महिलाएं तो बिना बिंदी कुमकुम या सिंदूर के रहती नहीं तिलक और सिंदूर से व्यक्ति के बहुत बड़ी पहचान होती है
भगवान के जिनालय में हर पात्र पर पहले स्वास्तिक का चंदन लेप किया जाता है पूजन की थाली में अष्ट द्रव में चंदन का स्थान महत्व बताया है
जिनालय में पूजन करने के पहले तिलक लगाया जाता है तिलक से व्यक्ति विशेष की पहचान भक्त जैसी बनती है तिलक लगाने वाले व्यक्ति के मन में शांत परिणाम बने रहते हैं ईश्वर के तिलक में इतनी शक्ति रहती है की मन के विकारों बुरे परिणामों को मन को शांत कर देता है कुमकुम सिंदूर से महिलाओं की पहचान हो जाती है की सिंदूर से महिला शादीशुदा है बिना सिंदूर के महिला की कोई पहचान नहीं बनती
दिगंबर साधु संलेखना पूर्वक समाधि मरण करते हैं
दिगंबर साधु की समाधि एक उत्सव पूर्वक मनाई जाती है जहां दिगंबर साधु जन-जन के साधु होते हैं उनकी समाधि होती है वह एक स्मारक के रूप में पूजा जाता है
साधु संसार से चले जाने पर भी वह समाधि स्थल भक्तों को उनकी सदैव याद कराती रहती है
वह स्थान भक्तों के लिए तीर्थ बन जाता है वहा भक्त वार्षिक मेला और विनयांजलि उत्सव के रूप में मनाते हैं अपार भक्तों को मुनि ने अपना आशीष दिया
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान