थोड़ा सा जानिए आचार्य श्री को

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प्रातः वंदनीय,मूकमाटी रचयिता, महान तपस्वी, ज्ञानी, शांतमुद्रा , अनेक जैन बालिका विद्यालयों के प्रेरक,शाकाहारी तरीक़े से कुटीर उद्योग के प्रणेता, गोशाला प्रवर्तक, “इंडिया नहीं भारत बोलो “समर्थक, आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज के चरणों में भावपूर्ण विनयांजली।🙏🙏🙏

थोड़ा सा जानिए आचार्य श्री को

कोई बैंक खाता नही कोई ट्रस्ट नही, कोई जेब नही , कोई मोह माया नही, अरबो रुपये जिनके ऊपर निछावर होते है उन गुरुदेव के कभी धन को स्पर्श नही किया।

✅ आजीवन चीनी का त्याग
✅ आजीवन नमक का त्याग
✅ आजीवन चटाई का त्याग
✅ आजीवन हरी सब्जी का त्याग, फल का त्याग, अंग्रेजी औषधि का त्याग,सीमित ग्रास भोजन, सीमित अंजुली जल, 24 घण्टे में एक बार 365 दिन
✅ आजीवन दही का त्याग
✅ सूखे मेवा (dry fruits)का त्याग
✅ आजीवन तेल का त्याग,
✅ सभी प्रकार के भौतिक साधनो का त्याग
✅ थूकने का त्याग
✅ एक करवट में शयन बिना चादर, गद्दे, तकिए के सिर्फ तखत पर किसी भी मौसम में।
✅ पुरे भारत में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले
✅ एक ऐसे संत जो सभी धर्मो में पूजनीय
✅ पुरे भारत में एक ऐसे आचार्य जिनका लगभग पूरा परिवार ही संयम के साथ मोक्षमार्ग पर चल रहा है
✅ शहर से दूर खुले मैदानों में नदी के किनारो पर या पहाड़ो पर अपनी साधना करना
✅ अनियत विहारी यानि बिना बताये विहार करना
✅ प्रचार प्रसार से दूर- मुनि दीक्षाएं, पीछी परिवर्तन इसका उदाहरण,
✅आचार्य देशभूषण जी महराज जब ब्रह्मचारी व्रत से लिए स्वीकृति नहीं मिली तो गुरुवर ने व्रत के लिए 3 दिवस निर्जला उपवास किआ और स्वीकृति लेकर माने
✅ ब्रह्मचारी अवस्था में भी परिवार जनो से चर्चा करने अपने गुरु से स्वीकृति लेते थे
और परिजनों को पहले अपने गुरु के पास स्वीकृति लेने भेजते थे ।
✅ प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति सभी के पद से अप्रभावित साधना में रत

गुरुदेव ने हजारो गाय की रक्षा , गौशाला समाज ने बनाई।
हजारो बालिकाओ को संस्कारित करने आधुनिक स्कूल बनाए

इतना कठिन जीवन के बाद भी मुख मुद्रा स्वर्ग के देव सी….
नमोस्तु गुरूदेव जी

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