ठण्डा दिमाग और सकारात्मक सोच, जीवन की सारी उल्झनों को मिटा देती है..!अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज

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औरंगाबाद दिल्ली नरेंद्र पियुश जैन  अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज एवं उपाध्याय पियूष सागरजी महाराज ससंघ तरुणसागरम तीर्थ पर वर्षायोग हेतु विराजमान हैं उनके सानिध्य में वहां विभिन्न धार्मिक कार्योंकम संपन्न हो रहें हैं उसी श्रुंखला में उपस्थित गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज ने कहा कि
जिस प्रकार ठण्डा पानी और गर्म प्रेस, कपड़ो की सारी सलवटें निकाल देती है..
उसी प्रकार ठण्डा दिमाग और सकारात्मक सोच, जीवन की सारी उल्झनों को मिटा देती है..!
मैं देख रहा हूँ आज कल — नफ़रत, घृणा, वैमनस्य, कषाय से भरी पोस्ट, भीषण गर्मी और कड़ाके की सर्दी से भी ज्यादा खतरनाक हो रही है। मौसम का प्रभाव – शरीर से ज्यादा हमारी सोच और मन पर निर्भर करता है। जबर्दस्त गर्मी या खून जमा देने वाली ठण्ड से, लोगों का गुस्सा बेकाबू हो जाता है। सहनशीलता कम, और वाणी-व्यवहार में जमीन आसमान सा अन्तर झलकने लगता है।
मैं अनुभव कर रहा हूँ कि – मैं और मेरे नस्ल का मेरा धर्म, मेरा पन्थ, मेरा सम्प्रदाय, मेरे महाराज के भेदभाव पूर्ण पोस्टों ने आज की युवा पीढ़ी की सोच का, सत्यानाश कर दिया है। चैनलों में हम वही देखते हैं, जिसमे मैं और मेरे सन्त, पन्थ, सम्प्रदाय का प्रोग्राम आ रहा होता है। शेष धर्मों का – सन्त और पन्थो का प्रोग्राम जाये —— में। (हम क्यों बोलें भाड़ में जाये) मन्दिर में जायें। जहां पर जिसके मन का धर्म होता है, वहां सब कुछ अच्छा लगता है, और जहां मन के विपरीत क्रिया काण्ड होता है तो वो सब गलत और मिथ्या लगने लगता है। अरे वाह रे हमारा मापदंड।
आज मन्दिरों और धर्म स्थलों पर, साधु सन्तों के समारोह में, धर्म पूजा पाठ हो ही नहीं रहा है। सिर्फ धर्म की आड़ में अच्छा खासा व्यापार, धन्धा चल रहा है। आज सबसे बेरहम दुश्मन हमारा पन्थाग्रह, सन्ताग्रह, हटाग्रह, दुराग्रह, सम्प्रदाय और परम्परा बन गया है। जिसका रिजल्ट कोल्हू के बैल की यात्रा से कम नहीं है…!!!               नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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