तेरा-बीस पंथी नहीं आगम पंथी बने राजेश जैन दद्दू इंदौर

0
3

वर्तमान में व्यक्ति अहंकार में लिप्त है और अनेक मत मतान्तर मे उलझ रहा है। कोई देव और गुरु को मानता है तो कोई शास्त्र को नहीं मानता, तो कोई शास्त्र और देव को मानता है गुरु को नहीं मानता जबकि देव शास्त्र गुरु तीनों ही पूजनीय है। आज आवश्यकता 13 और 20 पंथी नहीं आगम पंथी बने रहने की है ताकि जैन धर्म पंथों में विभक्त न होकर आगम अनुसार संगठित रह सके।
यह उद्गार आज दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में आर्यिका
विजिज्ञासा श्री माताजी ने धर्म सभा में व्यक्त किए ।
आपने कहा कि आप भगवान को मानते हैं लेकिन उनकी कही बातों को नहीं मानते। भगवान ने कहा कि जीवन में आए कष्ट हमारे अशुभ कर्मों का फल है लेकिन इसे कोई स्वीकार नहीं कर पा रहा है। माताजी ने कहा कि पूर्वाचार्यों द्वारा प्रणीत आगम में वर्णित प्रत्येक कथन पर श्रद्धान रखकर सबको स्वीकार करना चाहिए जो स्वीकार नहीं करता वह मिथ्या दृष्टि है। राजेश जैन दद्दू ने बताया कि प्रारंभ में श्री कमल जैन, अतुल जैन एवं डॉ जैनेंद्र जैन ने दीप पट्टाचार्य आचार्य विशुद्ध सागरजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर धर्म सभा का शुभारंभ किया, मंगलाचरण श्रीमती बलवंता जैन ने किया एवं धर्म सभा का संचालन ट्रस्ट अध्यक्ष श्री भूपेंद्र जैन ने किया। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि माता जी के प्रवचन प्रतिदिन प्रातः 8:30 बजे से 9:30 बजे तक जिनालय सभागृह में होते हैं एवं संध्या 6:30 से 7:30 तक माता जी के सानिध्य में आनंद यात्रा, गुरु भक्ति एवं प्रश्न मंच का कार्यक्रम होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here