तीर्थ-रक्षा से पर्यावरण-रक्षा – डॉ. दिलीप धींग

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(शोधप्रमुख: जैनविद्या विभाग, शासुन जैन कॉलेज)
जैन तीर्थ सम्मेद शिखर चर्चा में है। सरकार ने इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित कर दिया। जैन समाज चाहता है कि सम्मेद शिखर पवित्र तीर्थ ही रहे। इस मांग को अनेक समाजों, वर्गों एवं दलों ने उचित माना है और समर्थन किया है। जैन समाज की मांग के पीछे आगम, इतिहास और आस्था के प्रबल तथ्य हैं। साथ ही एक बड़ा तथ्य पर्यावरण रक्षा का भी है।

वस्तुतः सम्मेद शिखर, शत्रुंजय आदि पर्वतीय तीर्थ क्षेत्र स्वच्छ पर्यावरण के बड़े केन्द्र हैं। यहाँ तीर्थयात्री पैदल ही पर्वत की चढ़ाई करते हैं। जो श्रद्धालु पैदल नहीं चढ़ पाते हैं, वे मानव डोली का सहारा लेते हैं। इन पर्वतों की चढ़ाई में मोटर वाहन का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसके अलावा इन तीर्थ क्षेत्रों में प्राणीवध तथा मद्य-मांस का सेवन और व्यापार प्रतिबंधित रहता हैं। इन तीर्थों के पर्वतीय क्षेत्र में उत्खनन आदि वाणिज्यिक गतिविधियाँ भी निषिद्ध होती हैं। फलस्वरूप ये पवित्र तीर्थ क्षेत्र वायु, ध्वनि, जल, थल आदि सभी प्रकार के प्रदूषणों से मुक्त रहते हैं।

प्रदूषण-मुक्त होने की वजह से इन वनीय पर्वतीय तीर्थ क्षेत्रों पर विविध अल्पसुलभ, दुर्लभ पंछी चहचहाते, अठखेलियाँ करते हैं। रंग-बिरंगी तितलियाँ और लाल सूची में शामिल अनेक विलुप्तप्राय जीव-जंतु भी इन वन्य पहाड़ी तीर्थ क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। अनेक दुर्लभ वनस्पतियाँ भी यहाँ विद्यमान हैं। आज जहाँ मैदानी क्षेत्र में जल-संकट है, वहाँ इन पर्वतों की धरती और चट्टानों के नीचे स्वच्छ जल उपलब्ध है। इन पर्वतों पर जलकुंड भी हैं। वस्तुतः सम्मेद शिखर और शत्रुंजय गिरीराज जैसे तीर्थ पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकी संतुलन और जैव विविधता के केन्द्र हैं। अहिंसा, अध्यात्म और आस्था के कारण इनका प्राकृतिक स्वरूप सदियों से अक्षुण्ण है। जलवायु परिवर्तन के संकट के समय में ऐसे पवित्र तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र में परिवर्तित करना बेहद भयावह खतरे का संकेत है।
सम्मेद शिखर जैसे पवित्र तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित करने से वहाँ की स्वच्छ, शांत जलवायु, प्राकृतिक आध्यात्मिक वातावरण एवं वहाँ के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की विविधता धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। प्रकृति, संस्कृति और धरती को बचाने के लिए इन तीर्थों के पवित्र और प्राकृतिक स्वरूप को कायम रखना आवश्यक है। देश और दुनिया के प्रदूषित होते पर्यावरण के इस दौर में पर्यावरण और मानवता की रक्षा के लिए भी तीर्थ-रक्षा बेहद जरूरी है।
7, अय्या मुदली स्ट्रीट,
साहुकारपेट, चेन्नई-600001

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