तत्त्वार्थसूत्र में वर्णित तीनों लोगों के रहस्य को एल.ई.डी. के माध्यम से समझाया गया।

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 आदर्शमय वर्षायोग 2025

 

तत्त्वार्थसूत्र में वर्णित तीनों लोगों के रहस्य को एल.ई.डी. के माध्यम से समझाया गया।

 

भारत के प्राचीन ऋषियों मुनियों का अद्भुत ज्ञान आज के वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत चुनौती पूर्ण है।

 

इंदौर (ओम पाटोदी)। पश्चिम क्षेत्र समर्थ सिटी में पूज्य आर्यिका मां सिद्ध श्री माताजी ससंघ के पावन चातुर्मास के अंतर्गत निरंतर धर्म की गंगा बह रही है, इसी तारतम्य में रविवार शाम को पूना से पधारे श्री योगेश जी जैन शास्त्री एवं श्री जैन द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर संत सदन में बड़ी स्क्रीन के माध्यम से जैन भूगोल के अनुसार तीन लोक के कई रहस्य को खोला गया। जिसको समस्त समाज जनों ने बड़ी उत्सुकता के साथ देखा ओर समझने का प्रयत्न किया।

उक्त जानकारी देते हुए वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के ओम पाटोदी ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री ने मंगलाचरण किया उसके पश्चात सम्मानिय अतिथियों का स्वागत दिगंबर जैन समाज समर्थ सिटी के प्रमुख शैलेश चंदेरिया, शैलेन्द्र जैन, श्रेयांस जैन, सन्तोष जबेरा एवं सुभाष जैन ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन सुलभ सेन ने किया।

पाटोदी ने बताया कि जैनाचार्यों द्वारा तीनों लोकों एवं इसमें निवास करने वाले समस्त प्राणियों के संबंध में  आवश्यक हर विद्या पर तार्किक प्रमाणिक एवं  महत्वपूर्ण जानकारियां प्रस्तुत की गई है। आज के वैज्ञानिकों के द्वारा इन प्राचीन महत्वपूर्ण ग्रंथों को आधार बनाकर कई महत्वपूर्ण खोजों को किया गया और उन्हें सही भी पाया गया। आज भी ऐसे कई रहस्य है जो इन प्राचीन ग्रंथो में सर्वज्ञ देव जिनेन्द्र भगवान की दिव्य ध्वनि के आधार पर जैन आचार्य द्वारा हजारों वर्ष पूर्व लिखे गए हैं जो अब तक अनसुलझे हैं और जिस पर विज्ञान की खोज  अधूरी है, वहीं कई स्थानों पर तो विज्ञान अपने आप को पंगु भी समझता है।

श्री योगेश जी शास्त्री ने वीडियो के माध्यम से कई महत्वपूर्ण जानकारी को समाज के सामने प्रस्तुत किया जिसमें जीवन की उत्पत्ति से लेकर उसके उत्कृष्ट अवस्था मोक्ष प्राप्ति की जानकारी के साथ ही तीन लोक के विस्तार पर चर्चा की और बताया कि विज्ञान के अनुसार दुनिया में कुल मिलाकर 7 महाद्वीप और  पांच महासागर हैं । जिनके नाम एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया महाद्विप और पांच महासागर प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक महासागर, दक्षिणी महासागर हैं। परंतु यदि हम जैन भूगोल और खगोल की बात करें तो उसके अनुसार जहां हम रह रहे यह तो एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा है ऐसी कई पृथ्वीयां, द्विप महासमुंद्र, महासागर एवं आकाशगंगाए पूरे ब्रह्मांड में है। इस बात को विज्ञान भी अब दबे स्वर में स्वीकार करने लगा है। जो भारतीय संस्कृति की प्राचीन विद्वत्ता एवं ऋषि मुनियों के अद्भुत ज्ञान को परिलक्षित करता है।

पाटोदी ने बताया कि महान् आचार्य कुंद कुंद स्वामी के पट्टशिष्य आचार्य श्री उमा स्वामी द्वारा आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व यह सभी जानकारियां सुत्र के माध्यम से लिपिबद्ध की गई थी जो आज के वैज्ञानिक के लिए चुनौती पूर्ण है। भारतीय डाक विभाग ने जैन भूगोल के अनुसार तीन लोक की रचना पर एक सुंदर डाक टिकट भी जारी किया है। जिसे भगवान महावीर स्वामी के 2600वे जन्म कल्याणक महोत्सव वर्ष के दौरान वर्ष 2001 में जारी किया गया था।

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