तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर जी महाराज के 86 वे जन्म जयंती के उपलक्ष्य में उनकी समाधि स्थली कुंजवन उदगाव जगमगायी

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औरंगाबाद _परम पूज्य तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मति सागर जी महाराज के 86 वे जन्म जयंती के उपलक्ष्य में उनकी समाधि स्थली कुंजवन उदगाव महाराष्ट्र में परम पूज्य अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागरजी महाराज एवं उपाध्याय पियुष सागर जी महाराज के सानिध्य में पुरे कुंजवन उदगाव के मंदिर को विहंगम लायटींग से सजाया गया है उसकी फोटो लि है पैठन के फोटो जर्नलिस्ट रुचिर भगत इन्हें ने  ऐसी जानकारी       नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद ने दी  ईस  अवसर पर आचार्य प्रसन्न सागर महाराज  ने कहा की
मनुष्य की चाल दो बार बदलती है —
 एक — धन बढ़ता है तो अकड़ आती है, और
दो — धर्म बढ़ता है तो विनम्रता आती है।
हे परमात्मा! ज़िन्दगी–भले ही तू छोटी देना, मगर ऐसी ज़िन्दगी देना कि सदियों तक लोगों के दिलों में जिन्दा रहूँ और हमेशा सत्कर्म सेवा से जुड़ा रहूँ।
अब समय कम और कार्य ज्यादा है जीवन में। समय — समय है, वह किसी के बाप का नौकर नहीं है, समय खुद अपना मालिक है। समय किसी का इन्तजार नहीं करता, ना किसी से इकरार करता है। समय कभी पीछे मुड़कर भी नहीं देखता। अभी दो बजे थे, अब तीन बज गये। मौत भी एक घंटे आगे सरक गई। कल शनिवार था, आज रविवार है।
ज़िन्दगी का एक दिन हमारे हाथ से चला गया, फिर भी हम टाइम पास करने में लगे हैं। मित्रो! हम टाइम पास नहीं कर रहे हैं, बल्कि टाइम — हमें पास कर रहा है…!!! पीयूष कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा

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