तमिलनाडु में जैन धर्म की अनमोल विरासत

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– डॉ. दिलीप धींग (साहित्य वारिधि)
वर्तमान में तमिलनाडु में भले ही जैनों की आबादी बहुत कम है, लेकिन इस प्रदेश के सांस्कृतिक परिवेश तथा लोक जीवन में जैन धर्म के व्यापक प्रभाव को देखा जा सकता है। जैन संस्कृति की यहाँ समृद्ध विरासत रही है। इस विरासत को आज भी जैनों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न सेवा कार्यों में देखा जा सकता है। अतीत से आज तक की इस गौरवशाली यात्रा को श्री शंकरलाल सुंदरबाई शसुन जैन महिला महाविद्यालय द्वारा निर्मित वृत्तचित्र (लघु फिल्म) में दर्शाया है। दिसंबर-2024 में जारी इस वृत्तचित्र का नाम है- अनमोल विरासत (तमिलनाडु में जैन धर्म), जो अभुषा फाउंडेशंस के शोध प्रमुख कवि डॉ. दिलीप धींग द्वारा सुझाया गया।
महाविद्यालय की सचिव उषा-अभय श्रीश्रीमाल और सहसचिव डॉ. हरीश एल. मेहता के मार्गदर्शन में तैयार इस वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) को श्री श्वेतांबर स्थानकवासी जैन एजुकेशनल सोसायटी के महासचिव अभय श्रीश्रीमाल जैन ने प्रस्तुत किया है। इस प्रस्तुति में शसुन कॉलेज के मीडिया, मनोरंजन व संचार तथा कला व संस्कृति के उत्कृष्टता केन्द्र एव जैनविद्या विभाग का दो वर्ष का परिश्रम जुड़ा है। ढाई हजार साल के अविरल ऐतिहासिक प्रवाह को मात्र 45 मिनट में समेटना कोई आसान कार्य नहीं था।
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सी.बी.एफ.सी.) से विधिमान्य इस वृत्तचित्र में जहाँ तमिलनाडु में विद्यमान प्राचीन जैन गुफाओं, साधना शैय्याओं, शिलालेखों, शैल मूर्तियों, प्रतिमाओं और मंदिरों को दर्शाया है, वहीं वर्तमान में जैन समाज द्वारा किए जा रहे साहित्य, शिक्षा, चिकित्सा, मानव-सेवा और जीव-दया के अनेक कार्यों को प्रामाणिक तरीके से फिल्मांकित किया है। तमिलनाडु से जुड़े विषय की हिंदी में यह प्रस्तुति स्तुति योग्य है। सांस्कृतिक संवाद बढ़ाने वाला यह वृत्तचित्र अपनी धरोहर को संजोने एवं उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
7, अय्या मुदली स्ट्रीट,
साहुकारपेट, चेन्नई-600001

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