तमिलनाडु में धर्म–एकता का अद्भुत संगम

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टिंडीवनम में भव्य सामूहिक समवशरण विधान सम्पन्न

टिंडीवनम (तमिलनाडु)। प. पू. आचार्य 108 श्री वसुनन्दी जी महामुनिराज एवं गणिनि आर्यिका 105 गुरुनंदनी माताजी ससंघ के पावन सानिध्य में टिंडीवनम नगर में नयनार जैन समाज व खंडेलवाल दिगंबर जैन समाज के संयुक्त तत्वावधान में सामूहिक कल्पद्रुम विधान (24 समवशरण महार्चना) का आयोजन ऐतिहासिक भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ।
यह आयोजन केवल श्रद्धा और भक्ति का पर्व नहीं रहा, बल्कि इसने दो समाजों के बीच आपसी एकता और सामाजिक बंधन को और मजबूत किया।
आयोजन की सफलता का श्रेय संजय जी ठोलिया को दिया गया, जिनकी दृढ़ निष्ठा और मेहनत से यह ऐतिहासिक अवसर संभव हुआ। उनके प्रेरक उद्बोधन ने पांडिचेरी एवं तमिलनाडु जैन समाज को गहराई से प्रभावित किया।
विशेष सहयोग भामाशाह श्री एम के जैन का रहा। वहीं टिंडीवनम कमेटी के भास्कर जी, श्रैणिक जी, अशोक जी सहित सभी टिंडीवनम वासियों की सामूहिक प्रतिबद्धता ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सामूहिक समवशरण विधान सचमुच धर्म, भक्ति और सामाजिक एकता की जीवंत मिसाल बनकर इतिहास में दर्ज हो गया।

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