स्व. फूलचंदजी सेठी स्वर्णिम पुण्य तिथि (२०२४-२५) का कोलकाता, दीमापुर, मुंबई, छापड़ा लिखवा व दिल्ली में भव्य आयोजन एवं जिनेन्दु पत्रिका का विमोचन सूरत ब कोलकाता में

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श्रद्धांजलि अर्पण

स्व. फूलचंदजी सेठी स्वर्णिम पुण्य तिथि (२०२४-२५) का कोलकाता, दीमापुर, मुंबई, छापड़ा लिखवा व दिल्ली में भव्य आयोजन एवं जिनेन्दु पत्रिका का विमोचन सूरत ब कोलकाता में

दिनांक: २ अक्टूबर २०२५ वार बृहस्पतिवार (विजय दशमी) के दिन हमारे प्रिय बापूजी श्रीमान फूलचंद जी सेठी, छापड़ा निवासी डिमापुर प्रवासी की स्वर्णिम पुण्यतिथि मनाई गई। आचार्यश्री १०८ सुनील सागर जी महाराज, अहमदाबाद (चातुर्मास प्रवास) को जिनेन्दु पत्रिका की एक प्रति श्री धर्मेंद्र जैन संपादक ने भेंट की एवं आचार्य श्री १०८ प्रमुखसागर जी महाराज, बेलगछिया, कोलकाता (चातुर्मास प्रवास) के प्रेरणा एवं आशीर्वाद से जिनेन्दु साप्ताहिक पत्रिका जिसमें “फूलचंदजी सेठी स्वर्णिम पुण्यतिथि” की मुद्रित एक प्रति श्री राजकुमारजी सेठी कोलकाता द्वारा भेंट की गई। बापूजी का देवलोक गमन आज से 50 वर्ष पूर्व आश्विन शुक्ला दशमी (विजया दशमी) वार शनिवार 2 अक्टूबर के दिन श्री दिगंबर जैन मंदिर के प्रांगण में प्रवचन हाल में देव शास्त्र गुरु के समक्ष व इंदुमती माताजी, सुपार्श्वमति माताजी, विद्यामति माताजी व सुप्रभामति माताजी ससंघ के सानिध्य में हुआ था। 50 वर्ष उपरांत भी ५०वीं पुण्यतिथि विजय दशमी का दिन एक अदभुत संयोग बन गया और इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

गुणी व्यक्तित्व के धनी बापूजी बहुत ही विनम्र और सरल स्वभावी थे। क्रोध तो उनसे कोसों दूर था। कभी भी किसी से अपनी नाराजगी प्रगट नहीं करते थे। सभी से प्रेम पूर्वक बात करते थे। किसी भी समस्या का समाधान बहुत ही सहज रूप से करते थे। समाज में मंत्री पद जो एक गरिमामयी पद है, जिसे उन्होंने समाज के समक्ष संजोकर रखा। किसी से भी किसी प्रकार का भेद भाव नहीं रखते थे। वे हमेशा चाहे अमीर हो या गरीब सभी को सम्मान देना उनकी नीयती में था। वे अपने से कमजोर को सहायता करने के लिए हर समय लालायित रहते थे। चाहे समाज हो या परिवार सभी के प्रति उनका प्रेम यथावत था और वात्सल्य से भरा हुआ होता था। अहंकार तो उनके अंदर नाम मात्र का भी नहीं था। वे दया और करुणा भाव की प्रति मूर्ति थे। वे समाज में सभी की उन्नति चाहते थे। उनको पता चलता कि समाज का कोई व्यक्ति या परिवार का कोई व्यक्ति कष्ट में है तो तुरंत उसका दुख दूर करने हेतु सहायतार्थ पहुंच जाते। उनको उसकी इच्छानुसार मदद करते। मां-बापूजी की जब भी याद आती है तब उन पुरानी बीती यादों को याद करने से आँखें नम हो जाती है।

कल २ अक्टूबर २०२५ को विजय दशमी है। सेठी परिवार का सौभाग्य था कि यह तिथि ४९ वर्ष बाद वापस आई। ऐसा संयोग प्रबल पुण्यात्माओं को ही मिलता है। ।

इस स्वर्णिम पुण्यतिथि को एक यादगार के रूप में संजोने के लिए सेठी परिवार द्वारा इस शुभ दिन में भव्य कार्यक्रम का आयोजन डीमापुर कोलकाता मुंबई में किया गया।

कोलकाता में बेलगछिया मंदिरजी में आचार्य १०८ श्री प्रमुखसागर जी महाराज के आशीर्वाद एवं ससंघ के सानिध्य में राजकुमार जी सेठी कोलकाता प्रवासी डिमापुर निवासी द्वारा श्री पंच परमेष्ठि विधान का आयोजन किया गया। सभी ने भक्ति पूर्वक पूजा की एवं मध्य समय में भाव पूर्ण नृत्यों द्वारा इस विधान को स्मृति पटल पर अंकित कर दिया। आचार्य श्री ने विधान के मध्य में अपने उद्बोधन में कहा कि श्री फूलचंद जी सेठी ने अपने धार्मिक विचारों से एवं सामाजिक सेवा से जैन समाज को अभिभूत किया है उसी प्रकार इनके पुत्र पुत्रियां भी इसी पथ पर चलकर आज सब सामाजिक सेवा कर रहे है। राजकुमारजी सेठी का सामाजिक योगदान भी अद्भुत है और ये अखिल भारतीय श्री दिगंबर जैन महासभा के महामंत्री पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विनोद जी सेठी का भी सामाजिक योगदान भारतवर्ष में कई तीर्थस्थलों जैसे सोनागिरि, भागलपुर, सम्मेदशिखरजी इत्यादि में है। विनय जी (टिंकू), सुपुत्र पवन जी सेठी भी सामाजिक योगदान में काफी आगे है। पूरे सेठी परिवार को मेरा आशीर्वाद है, वे इसी तरह समाज को अपनी सेवाएं प्रदान कर चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग करें।

प्रवचन के उपरांत राजकुमार जी सेठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह हम सभी सेठी परिवार का पुण्य का उदय है कि हम परम पूज्यनीय आचार्य श्री प्रमुखसागर जी महाराज चतुर्विध ससंघ के सानिध्य में कोलकाता में मानने का हमें स्वर्णिम अवसर मिला। मैने कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसे दुर्लभ संयोग की। हमारा सेठी परिवार धन्य हो गया। हम सब अपने मां – पिताजी के आदर्शों पर चलकर समाज को एक नई दिशा प्रदान करने की कोशिश करेंगे जिससे धर्म वृद्धि हो एवं परिवार व समाज का कल्याण हो।

डिमापुर नागालैंड में श्री विनोद कुमार जी सेठी परिवार द्वारा शांति विधान का आयोजन किया गया। सभी ने भक्ति पूर्वक पूजा अर्चना की। इसके उपरांत रामचंद्र आशीष कुमार सेठी परिवार द्वारा परम पूज्यनीय अरिजीत सागर जी महाराज व क्षुल्लक श्री साम्ययोग सागरजी महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक पड़गाहन कर पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में आहार दिया गया। आहार पश्चात आरती की गई और पिच्छी भेंटकर पुण्य लाभ लिया। दिल्ली में इसी परिवार द्वारा णमोकार मंत्र का जाप किया गया।

संध्या समय ७ बजे उपरांत मुंबई में श्री पवनकुमार जी सेठी परिवार द्वारा श्री भक्तामर विधान, ऋद्धि-सिद्धि मंत्रों का उच्चारण करके ४८ दीपक जलाकर सभी ४८ स्तोत्र को पढ़कर किया गया।

इसके उपरांत श्री कृष्ण गौशाला लिखवा छापड़ा में इस पुण्यतिथि में गायों को गुड़ दलिया व हरा चारा दिया गया और गौशाला प्रांगण में पीपल, बड़, गुलर के पौधों का रोपण कर श्रद्धांजलि दी गई। छापड़ा विकास समिति के अध्यक्ष रतन सिंह जी, नवयुवक मंडल , लिखवा के अध्यक्ष अजय मावर, गौशाला सचिव प्रो चेतराम रेवड़िया आदि लोगों ने अपने अपने वक्तव्य देकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस तरह यह स्वर्णिम पुण्यतिथि एक यादगार के रूप में मनाई गई। सभी ने आनंद और उत्साह के साथ इस स्वर्णिम पुण्य तिथि पर्व को मनाया और बापूजी के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रगट की। द्वारा – संजय जैन गंगवाल

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