सिद्धों की आराधना से पापों का क्षय होता है -मुनिश्री विलोकसागर

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नसियांजी में 30 जून को विद्यासागर दीक्षा दिवस समारोह

मुरैना (मनोज जैन नायक) सिद्ध परमेष्ठि की आराधना करने से जन्मजन्मांतरों के पाप नष्ट हो जाते हैं। जैन कुल में जन्म लेने वाले या जैन दर्शन को मानने वाले प्रत्येक प्राणी को अपने जीवनकाल में कम से कम एकबार सिद्धचक्र का विधान अवश्य करना चाहिए । सिद्धों को भक्तिपूर्वक आराधना करने से सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है । पुण्यशाली जीव ही इस तरह के आयोजन कर सकता है । सिद्ध चक्र महामंडल विधान अरबपति खरबपति नहीं या पैसे वाले नहीं कर पाते हैं, जो मन के धनी होते हैं, जो किस्मत के धनी होते हैं और जिनका पुण्य जोर मारता है, वे ही साक्षात भगवान के दरबार में विधान करा पाते हैं । उन्होंने कहा कि जो पाप कर्म, तप और त्याग से नहीं कट सकते हैं वो पाप कर्म सिद्धचक्र विधान करने से कटते हैं । उक्त उद्गार जैन संत मुनिश्री विलोक सागर महाराज ने बड़ा जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए ।
नसियांजी जैन मंदिर के लिए किया श्रीफल भेंट
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का दीक्षा दिवस श्री महावीर दिगंबर जैन नसियांजी जैन मंदिर में 30 जून को मनाने बाबत पवन जैन (रतिराम पुरा) के नेतृत्व में फाटक बाहर की जैन समाज ने पूज्य मुनिराजश्री विलोकसागर एवं मुनिश्री विबोध सागर महाराज को सान्निध्य प्रदान करने सामूहिक श्रीफल अर्पित कर नसियांजी जैन मंदिर आगमन हेतु निवेदन किया ।
पूज्य गुरुदेव आज प्रातः 08 बजे गाजे बाजे के साथ बड़े जैन मंदिर से नसियांजी जैन मंदिर पहुंचेंगे। नसियां जी में रविवार को प्रातः प्रवचन एवं आहारचर्या होगी । सोमवार को प्रातः आचार्य विद्यासागर दीक्षा दिवस महोत्सव के उपलक्ष्य में गुणानुवाद सभा का आयोजन किया जाएगा ।
श्रीफल भेंट करते समय पवन जैन (रतिराम पुरा), पदमचंद जैन चैटा, टीकाराम जैन, सुरेन्द्र जैन, पदमचंद चौधरी, दिनेशचंद जैन, चंद्रप्रकाश जैन, वीरेंद्र जैन, डॉ. सतेंद्र जैन, रवींद्र जैन, रामकुमार जैन, शैलेन्द्र जैन, नवीन जैन, बंटी जैन प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।
सिद्धों की आराधना 03 जुलाई से होगी
अष्टाहिंका पर्व के पावन अवसर पर पूज्य गुरुदेव मुनिश्री विलोकसागर एवं मुनिश्री विबोधसागर महाराज के पावन सान्निध्य एवं बाल ब्रह्मचारी संजय भैयाजी (मुरैना वाले) के आचार्यत्व में 3 जुलाई से 11 जुलाई तक श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन बड़े जैन मंदिर जी में होगा । उक्त विधान में भजन गायक एवं संगीतकार हर्ष जैन एंड कंपनी भोपाल अपनी विशेष प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध करेंगे ।
जैन धर्म में सिद्धचक्र विधान का विशेष महत्व है। सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य-कृत्य। चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार के वृताकार यंत्र । इनमें अनेक प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है। मंत्र शास्त्र के अनुसार, इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है। सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है। जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है। जैन दर्शन में अष्टनिका महापर्व का विशेष महत्व बतलाया गया है।

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