श्रीविद्यासागर गुरुकुलम् में वार्षिक उत्सव सम्पन्न

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(भारतीय संस्कृति का प्रारूप– भारत प्रतिभारत)
भोपाल ।। संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद से संचालित श्रीविद्यासागर गुरुकुलम् भारतीय संस्कृति का सर्वोत्तम उदाहरण हैं। जहाँ भारत की परम्परागत अध्ययन-अध्यापन शैली को विकसित करके सभी विद्याओं में निपुण करने  का महत्वपूर्ण उपक्रम साधा गया है। गुरुकुलम् के निर्देशक बा.ब्र. विनय भैया जी ने अत्यंत परिश्रम के साथ विद्यार्थियों को अनेक विद्याओं में निपुण किया है। इसका उदाहरण वार्षिक उत्सव में स्पष्ट रूप से प्रतिलक्षित हुआ। भारत की मूल संस्कृति से जोड़ते हुए बच्चों ने मलखम के विविध उपक्रमों अत्यंत सहजता के साथ किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्राचीन गणित, वैदिक गणित के उदाहरण प्रस्तुत किए। बच्चों ने 5000 साल तक कलेण्डर पूछे जाने पर तत्काल उत्तर दिए। ऐसे ही गणित की बड़ी से बड़ी संख्या का जोड़ और घटाना पल भर में प्रकट किया। 1 से लेकर 100 तक का पहाड़ा चंद सेकेण्डों में ही बच्चों ने सुना दिया। वर्तमान शिक्षा पद्धति और भारतीय शिक्षा पद्धतिओं की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गई। यह एक अभूतपूर्व आयोजन था। कार्यक्रम के अंत में, गुरु-शिष्य परम्परा का जीवन्त स्वरूप बच्चों द्वारा अपने माता-पिता का सम्मान, पूजन और वंदना का जो अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया है, उससे आगन्तुक समस्त महानुभावों को भावविभोर कर दिया। ऐसा अनुपम उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है।
कार्यक्रम का संचालन भी एक होनहार विद्यार्थी द्वारा बड़े ही उत्तम ढंग से किया गया। कुल मिलाकर रंच मात्र भी बच्चों की प्रस्तुतियों में हीनाधिकता नहीं दिखी। अत्यंत पक्की तैयारी और गुरुकुल के प्रति समर्पण का भाव स्पष्ट रूप से प्रकट हो रहा था। लोग मंत्रमुग्ध थे। ऐसा लग रहा था मानो हम प्राचीन काल के गुरुकुलों की शिक्षा को आज साक्षात् देख रहे हैं। ब्र. विनय भैया ने कहा -सर्वगुणसम्मन्न और सभी विद्याओं में पारगामी, ये विद्यार्थी अपने में रचनात्मक कौशल के बहुत धनी व्यक्तित्व है। आने वाले समय में, हम इन विद्यार्थियों को राष्ट्र की सेवा के लिए चाणक्य और चन्द्रगुप्त के रूप में तैयार कर रहे हैं, जो हमारे राष्ट्र की पूरी श्रद्धा के साथ सेवा करेंगे। गुरुकुल मे 13 शिक्षक अध्ययन अध्यापन करा रहे हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री सुरेश जैन आईएएस, श्री राजेश गुप्ता आईपीएस, श्री पवन जैन आईपीएस, श्री राजेन्द्र जैन अंबाला, श्री शांतिनाथ मदनवार पुणे, डॉ. अनिल भार्गव भोपाल, नितिन जैन सीए, एड. प्रवीण जैन भोपाल, डॉ. मोनिका गुप्ता, श्रीमती अंजली जैन, श्री अशोक त्रिपाठी संपादक समय जगत आदि की गरिमामयी उपिस्थति रही। श्री सुरेश जैन आईएएस ने कहा – वास्तव में, बच्चों की प्रतिभाओं को देखकर मन गदगद हो गया। हमारे देश के ये होनहार बच्चे, जो आज प्राचीन विद्याओं को सीख रहे हैं और इतना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं, सच में, गौरवशाली हैं। श्री राजेश गुप्ता आईपीएस ने कहा – मैं हमेशा से भारत की गुरुकुल शिक्षा का पक्षधर रहा हूँ, मैं चाहता था कि गुरुकुल परम्परा को स्वरूप फिर से विकसित हो, ऐसे में, ब्र. विनय भैया ने मेरे उस स्वप्न को पूरा करने में कड़ी जोड़ने का कार्य किया है। श्री पवन जैन आईपीएस ने कहा – हम अपनी भारतीय शिक्षा को यदि पुनर्जीवित देखना चाहते हैं तो हमें ऐसे गुरुकुलों के लिए निरंतर सहयोग करना चाहिए। ये गुरुकुल और इसके विद्यार्थी, वास्तव में देश के लिए सर्वश्रेष्ठ करेंगे। श्री अशोक त्रिपाठी जी ने कहा – प्राचीन विद्याओं का ऐसा समागम श्री विद्यासागर गुरुकुलम् में देखकर हम सभी का हृदय अभिभूत है। यहाँ उपिस्थत जनसमूह से कहना चाहूँगा कि भैयाजी ने तो निरंतर प्रयास किए ही हैं, अब हमें और आपको भी प्रयास करना है, जिससे हम अपनी गुरुकुल परम्परा को जीवित कर सकें।
गुरुकुलम् समिति के संयोजक श्री अजय जैन अहमदाबाद, सह संयोजक श्री राजकुमार जैन ग्वालियर, उपाध्यक्ष श्री आलोक जैन जबलपुर, डॉ. प्रशांत जैन जबलपुर, मंत्री श्री आशीष जैन भोपाल, संयुक्त मंत्री इंजी. अजित जैन भोपाल, शिक्षामंत्री डॉ. आशीष जैन आचार्य शाहगढ़ सागर, सदस्य श्री नीतेश जैन अहमदाबाद, सदस्य श्रीमती रिया राहुल जैन भोपाल ने गुरुकुल को उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिए खूब प्रयास किए हैं और कर रहे हैं। डॉ.आशीष जैन आचार्य ने आभार प्रदर्शन करते हुए नए सत्र में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाले 1 अप्रैल से 15 अप्रैल 2025 के शिविर की जानकारी प्रदान की, तत्पश्चात् ग्रीष्मावकाश में आयोजित होने वाले समर कैंप की भी जानकारी प्रदान की। इस प्रकार यह वार्षिक उत्सव सानंद समाप्त हुआ।

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