श्रीमती कमलाबाई कासलीवाल नेअपनाया सन्यासाश्रम

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छत्रपति संभाजी नगर (औरंगाबाद) महाराष्ट्र की ज्येष्ठ श्राविका श्रीमती कमलाबाई अमरचंदजी कासलीवाल हतनुर वाली एक धर्म परायण,मुनि भक्त ,देव शास्त्र , गुरु के प्रति सदा समर्पित जैन समाज 80 वर्षिय आदर्श महिला है। वह बहुतही दयालु,मातृत्व हृदय वाली ,सरल, सहज परिणाम वाली महिला है।
अपने पति अमरचंद जी के स्वर्गवास के पश्चात घर में ही वह वृतियो जैसा जीवन यापन करते रही। सतत धर्म कार्य में ,मुनियो की सेवा में ,आहार दान देने में वय्यावृत्ति मे लगी रही।देव पूजा, अतिथि सत्कार, कुलाचार का पालन, परिजनो की सेवा तथा आत्मोन्नति ईस पंचकर्म के आधार पर संपूर्ण जीवन व्यतीत किया।अब वृद्धापकाल आने के पुर्व ही आत्म कल्याण का मार्ग अपनाकर परमार्थ मे लग गयी ।और मोक्ष मार्ग प्रशस्त कर लिया।
ह्रदय की मधुरता,ऊदारता,और विनम्रता ईन विशेषताओं से युक्त कमल बाई की आंखों में जहां हर पल प्रेम टपकता है वही मुखारबिन्द से अमृत की बौछार होती है। नि: संतान होने की पश्चात भी उसने अपने को अकेला महसूस नहीं किया ।अपने भतीजे विपिन ,नितिन, अतीन, रोमी को पुत्रवत प्यार किया ।भाई विजय काला को सतत प्रेम दिया। देवरानी लता को अपनी बहन मानती रही। सभी भरापुरा कासलीवाल व काला परिवार से मिलजुल कर रही।अब उसने सभी का त्याग कर दिया और परोपकार में लगने का निर्णय लिया । ऊसने अपनी सारी जमीन जायदाद,घर, सम्पति आदी श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर अरिहंत नगर औरंगाबाद को दान मे देकर दातृत्व भाव का एक अनुपम ,अद्वितीय ऊदाहरण समाज के सामने प्रस्तुत किया। और निर्णय लिया कि मरणोपरांत कोई भी सामाजिक रितीरिवाज नही हो। ऐसे अदभुत कार्य की समाज ने पेरणा लेना चाहिए।
औरंगाबाद समाज की ओर से ऊसके अमृत महोत्सव के अवसरपर कमलबाई को जिनशासन रत्न
की उपाधि से अलंकृत किया गया।श्री दिगंबर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा महाराष्ट्र के महामंत्री महावीर ठोले ने इस महान कार्य के लिए अनुमोदना देकर उसका भावी जीवन सुखमय ,धर्ममय हो,प्रभु की कृपा सदा बनी रहे इस भावना से बधाई दी ।

जयजिनेद्र, यह समाचार पत्रीका मे प्रकाशित कर उपकृत करे।धन्यवाद।

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