श्री तीर्थंकर पदमप्रभ भगवान का जन्म- तप कल्याणक – विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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भगवान श्री सुमतिनाथ जी के निर्माण के सुदीसsर्घ काल के पश्चात छठे तीर्थन्कर श्री पदमप्रभ जी का जन्म हुआ | कौशाम्बी नरेश महाराज धर की पट्टमहिषी सुसीमा देवी की रत्नकुक्षी से कार्तिक क्रष्णा त्रयोदशी के शुभ दिन प्रभु ने जन्म लिया | पदम लक्षण से युक्त होने से अथवा पदम शैया पर सोने का माता को दोहद होने से प्रभु का नाम पदमप्रभ रखा गया |
युवावस्था मे पदमप्रभ विवाहित और राज्यारुढ हुए | निष्काम भाव से उन्होने प्रजा का पालन किया | काल के परिपक्व हो्ने पर अपने पुत्र को राजपद प्रदान करके उन्होने कार्तिक क्रष्णा त्रयोदशी के पावन दिन दीक्षा अन्गीकार की | मात्र छह मास की तपश्चर्या से घाती कर्मो का क्षय कर उन्होने केवलज्ञान – केवलदर्शन प्राप्त किया | प्रथम पीयूष वर्षिणी मे ही चतुर्विध तीर्थ की स्थापना करके प्रभु ने सन्सार के लिए कल्याण का द्वार उदघाटित किया | जीवन के अन्त मे मार्गशीर्ष क्रष्णा एकादशी के दिन प्रभु ने निर्वाण पद प्राप्त किया |
भगवान के धर्म परिवार मे सुव्रत आदि एक सौ सात गणधर ,तीन लाख तीस हजार श्रमण ,चार लाख बीस हजार श्रमणिया ,दो लाख छिहत्तर हजार श्रावक एवम पान्च लाख पान्च हजार श्राविकाए थी |
भगवान के चिन्ह का महत्व
रक्त कमल –
यह भगवान पह्मप्रभु का चिन्ह है | काव्य शास्त्रों में कमल पवित्र प्रेम का प्रतीक माना जाता है | जो मन प्रभु के चरणों से प्रेम करता है , वह कमल की तरह पवित्र बन जाता है | पह्म नाम भी कमल का ही पर्यायवाची है | भगवान पदमप्रभु के शरीर की शोभा रक्त कमल के समान थी | हमें संसार में निर्लिप्त जीवन जीना चाहिए | गीता में भी ‘पह्मपत्र मिवाम्भसि ‘ – जल में कमल की तरह रहने की शिक्षा दी गई है |
कार्तिक-वदी-तेरह तिथी, प्रभू लियो अवतार |
देवों ने पूजा करी, हुआ मंगलाचार |
मोहे राखो हो शरना।I श्री पद्मप्रभ जिनराज जी! मोहे राखो हो शरना |
ओं ह्रीं श्रीं कार्तिक कृष्ण-त्रयोदश्यां जन्ममंगल-प्राप्ताय श्रीपद्मप्रभ जिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
कार्तिक-कृष्ण-त्रयोदशी, तृणवत् बन्धन तोड़ |
तप धार्यो भगवान ने, मोहकर्म को मोड़ ||
मोहे राखो हो शरना |
श्री पद्मप्रभ जिनराज जी! मोहे राखो हो शरना ||
ओं ह्रीं श्रीं कार्तिककृष्ण-त्रयोदश्यां तपोमंगल-प्राप्ताय श्रीपद्मप्रभ जिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू नियर ,डी मार्ट होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

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