श्री राम से अनेकों वर्षों पूर्व से जैन धर्म का अयोध्या से रिश्ता है

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अयोध्या शाश्वत तीर्थ जहां पांच जैन तीर्थंकरों ने जन्म लिया
जैन रामायण के अनुसार श्री राम आठवें बलभद्र थे जिनका मांगीतुंगी से निर्वाण हुआ
श्रीराम की नगरी अयोध्‍या से जैन धर्म का खास संबंध है। जैन परंपरा के अनुसार, 24 तीर्थकरों में से पांच तीर्थंकरों की जन्मभूमि अयोध्या है। जिनमें प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ जिन्हें ऋषभदेव के नाम से जाना जाता है, अजीत नाथ, अभिनंदन नाथ, सुमतनाथ और अनंतनाथ शामिल हैं। अर्थात प्रथम,द्वितीय,चतुर्थ पंचम और चतुर्दश तीर्थंकरों की अवतरण स्थली है अयोध्या नगरी। यही नहीं, अयोध्‍या में मौजूद नौ जैन मंदिर भी इन संबंधों की मजबूत कड़ी के रूप में गवाही देते हैं।
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में हुआ था। जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव का ऋग्वेद, अथर्ववेद, मनुस्मृति तथा भागवत आदि ग्रंथों में भी वर्णन है। भगवान राम जैन रामायण के अनुसार जैन धर्म के बीसवें तीर्थंकर मुनिसुब्रत नाथ भगवान के समकालीन माने जाते हैं वही रावण ने सोलहवें तीर्थंकर भगवान शांति नाथ की उपासना की और उनका भी विवरण बीसवें तीर्थंकर के काल में मिलता है। अर्थात जैन धर्म का अयोध्या से भगवान राम से पूर्व ही बड़ा प्राचीन रिश्ता है।
जैन धर्म के श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन पूजन करने के लिए प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में अयोध्या जाते हैं।
जैन धर्म में दो तीर्थ को शाश्वत तीर्थ की संज्ञा दी गई है जिनमें 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि सम्मेद शिखरजी और पांच तीर्थंकरों की जन्म भूमि अयोध्या है। भगवान का जहां अवतार होता है वह शाश्वत भूमि होती है। इसके अलावा उसको तीर्थ भूमि माना जाता है। कहते हैं कि दरअसल जैन और हिंदू धर्म दोनों एक दूसरे से अलग हैं।
श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर पूरे देश में जोश,उल्लास,हर्षोल्लास,उमंग यू कहे कि प्रत्येक मन में इस क्षण को जीवंत करने की अभिलाषा है तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी। जैन समाज भी उत्साहित है।
31 फीट ऊंची भगवान आदिनाथ की प्रतिमा पूज्या गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी के निर्देशन से अयोध्या के रायगंज में भगवान ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा है। जिसे बड़ी मूर्ति के नाम से जाना जाता है। अयोध्या के विकास से भगवान आदिनाथ जी और भगवान राम की नगरी तक पहुंचना हर श्रद्धालु के लिए सुलभ हो जाएगा।
सरकार का जैन मंदिरों पर भी ध्यान
प्रदेश सरकार का अयोध्या के जैन मंदिरों पर भी ध्यान है। प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की जन्मभूमि स्थित मंदिर परिसर में संग्रहालय और प्रेजेंटेशन हॉल बनाने का प्रस्ताव है। संग्रहालय में जैन मूर्तियां, तीर्थंकरों की दुर्लभ प्रतिमाएं, उनसे जुड़े साहित्यिक साक्ष्य और उनके उपदेशों को सहेजे जाने की योजना है। अयोध्या में यहां विभिन्न तीर्थंकरों के जीवन से संबंधित 18 कल्याणक घटित हुए हैं।
जैन दर्शन में 63 शलाका पुरुषों के अंतर्गत भगवान राम का विवरण नो बलभद्र के रूप में मिलता है उन्हें आठवें बलभद्र के रूप में जाना जाता है जिनका निर्वाण महाराष्ट्र के मांगी तुंगी सिद्ध क्षेत्र से हुआ और बाकी के आठ बलभद्र नाशिक में स्थित गजपंथ सिद्धक्षेत्र से निर्वाण को प्राप्त हुए।
संजय जैन बड़जात्या कामां

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