श्री पार्श्व पद्मावती धाम, पलवल दिनांक: ३१ जुलाई २०२५

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श्री पार्श्व पद्मावती धाम, पलवल
दिनांक: ३१ जुलाई २०२५

पलवल में भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया

पलवल स्थित ऐतिहासिक जैन तीर्थ श्री पार्श्व पद्मावती धाम में आज तेईसवें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक पर्व अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। प्रातःकाल से ही श्रद्धालुओं का तीर्थ में आगमन प्रारंभ हो गया और पूरा परिसर भक्ति के रंग में रंग गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान श्री पार्श्वनाथ के दूध, जल और चंदन से अभिषेक एवं शांतिधारा के साथ हुआ। इसके उपरांत विधिपूर्वक मंगल पूजन सम्पन्न हुआ जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से भाग लिया। अंत में भगवान को विशेष रूप से तैयार किया गया लाड्डू अर्पित किया गया, जो मोक्ष की पूर्णता, मिठास और आंतरिक समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

इस अवसर पर वक्ताओं ने भगवान पार्श्वनाथ के आदर्श जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि —

“भगवान पार्श्वनाथ ने अपने जीवनकाल में अनेक उपसर्गों को शांति, धैर्य और क्षमा के भाव से सहन किया। विशेष रूप से कमठ जैसे दुष्ट तपस्वियों द्वारा किए गए क्रूर प्रहारों को भी उन्होंने अद्भुत संयम से झेला। आज भी प्रतीत होता है कि वे अपने इस पावन धाम, पलवल में कमठ रूपी दुर्भावनापूर्ण व षड्यंत्रकारी व्यक्तियों के उपसर्गों को सहन कर रहे हैं — जो धर्म, सेवा और तीर्थ निर्माण कार्यों में बाधा डालते हैं। यह हम सभी के लिए एक संदेश है कि सच्चा धर्म हमेशा परीक्षा से गुजरता है, और केवल धैर्य, क्षमा व सत्य ही अंततः विजय पाते हैं।”

पूरे आयोजन के दौरान श्रीधाम परिसर जिनवाणी, स्तवन और शांतिपाठ के मधुर स्वरों से गुंजायमान रहा। श्रद्धालुओं ने भावपूर्वक भगवान के चरणों में नम्र वंदन कर मोक्षमार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त की।

कार्यक्रम के संयोजक नितिन जैन (संयोजक — जैन तीर्थ श्री पार्श्व पद्मावती धाम, पलवल एवं जिलाध्यक्ष — अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन, पलवल) ने जानकारी देते हुए कहा:

“यह तीर्थ भगवान पार्श्वनाथ और माता पद्मावती का जीवंत धाम है। हम सभी का यह परम सौभाग्य है कि मोक्ष कल्याणक जैसे पावन दिवस पर यहाँ अभिषेक, शांतिधारा और पूजन के माध्यम से प्रभु की आराधना कर सके। कुछ लोगों द्वारा यदि तीर्थ निर्माण व धर्म कार्यों में बाधाएं उत्पन्न की जाती हैं, तो हम भगवान की तरह उन्हें भी क्षमा भाव से देखेंगे, पर सत्य मार्ग से विचलित नहीं होंगे। तीर्थ कार्य रुकेंगे नहीं — बल्कि और भी तेज़ी से आगे बढ़ेंगे।”

अंत में सभी श्रद्धालुओं को मोक्ष कल्याणक की शुभकामनाएं दी गईं और धर्म, संयम, व सेवा भाव से जीवन जीने का संकल्प दोहराया गया।

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