श्री पार्श्व पद्मावती धाम, पलवल — भूमि से प्रकट हुए देवों का अद्भुत चमत्कार

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आज का पावन शुक्रवार का दिन साक्षी बना एक दिव्य, अलौकिक और भक्ति से भरे दृश्य का — भूगर्भ से अवतरित श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा बड़े ही श्रद्धा भाव से सम्पन्न हुई। जैसे-जैसे पवित्र जल की धाराएँ भगवान के दिव्य शरीर पर प्रवाहित हुईं, सम्पूर्ण वातावरण में मंत्रों की गूंज और भक्ति का स्पंदन भर उठा। ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वर्ग स्वयं इस तीर्थ में उतर आया हो।

यह वह पावन भूमि है जहाँ दैविक संकेतों के आधार पर छः बार भूमि खनन हुआ, और प्रत्येक बार मिट्टी की गोद से स्वयं तीर्थंकर भगवानों एवं शासन रक्षक देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ प्रकट हुईं — जो किसी युगपुरुष की आस्था नहीं, बल्कि साक्षात दैवी शक्ति की उपस्थिति का प्रमाण हैं।

इस तीर्थ के मूलनायक भगवान आदि ब्रह्मा श्री आदिनाथ भगवान हैं, जिनकी शांत मुद्रा और दिव्य तेज दर्शन मात्र से आत्मा को स्थिरता प्रदान करता है। साथ ही शनि ग्रह अरिष्ट निवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान का मंदिर उन असंख्य भक्तों के लिए आशा का दीपक है जो ग्रह बाधाओं और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति चाहते हैं।

परंतु इस पवित्र तीर्थ का सबसे विलक्षण आकर्षण है — चैतन्य चिंतामणि श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा। भूमि से स्वयं प्रकट हुई यह प्रतिमा सजीवता का अनुभव कराती है। भगवान के नेत्रों में करुणा है, मुखमंडल पर शांति और चारों ओर प्रसन्नता की लहर। उनकी उपस्थिति में हर चिंता स्वतः मिट जाती है — मानो वे साक्षात “चिंता हरने वाले” चिंतामणि पार्श्वनाथ हों।

भगवान के समीप विराजमान हैं मातेश्वरी श्री पद्मावती माता, जिनकी दिव्य आभा भक्तों के मन में सुरक्षा, साहस और समृद्धि का भाव जगाती है। साथ ही जिनशासन रक्षक देव क्षेत्रपाल बाबा की प्रतिमा इस स्थान की दिव्य ऊर्जाओं की रक्षा करती है। इन सभी प्रतिमाओं का भूगर्भ से स्वयं प्रकट होना इस भूमि की पवित्रता का साक्षात प्रमाण है।

आज जब अभिषेक और शांतिधारा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, भक्तों की आँखों से अश्रु बह निकले — यह आँसू श्रद्धा के थे, आस्था के थे, और इस चमत्कारी धाम के प्रति कृतज्ञता के थे। हर “जय जिनेन्द्र” के स्वर के साथ वातावरण में दिव्यता की लहर दौड़ गई।

यह तीर्थ केवल पत्थरों का समूह नहीं, बल्कि यह दैवी अनुग्रह का सजीव प्रतीक है। यहाँ का हर कण भक्ति से भरा है, हर प्रतिमा में ऊर्जा है, और हर भक्त के हृदय में भगवान के प्रति समर्पण का भाव।

जो भी भक्त इस तीर्थ में एक बार दर्शन करता है, उसके जीवन में नई दिशा, नई ऊर्जा और आत्मिक शांति का अनुभव होता है। सच ही कहा गया है —
“जहाँ दैविक संकेत हों, वहाँ भगवान स्वयं निवास करते हैं।”

जय श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की।
जय श्री पद्मावती मातेश्वरी की।
जय क्षेत्रपाल देव की।

✍️ नितिन जैन
संयोजक — जैन तीर्थ श्री पार्श्व पद्मावती धाम, पलवल (हरियाणा)
जिलाध्यक्ष — अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन, पलवल
📞 मोबाइल: 9215635871

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