श्री महावीर चालीसा के 40 पाठ की श्रृंखला के 26 वें पाठ का हुआ आयोजन

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यमुनानगर, 24 फरवरी (डा. आर. के. जैन):
श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर के प्रांगण में श्री महावीर चालीसा की 40 पाठ की श्रृंखला के 26 वें पाठ का आयोजन गौरव जैन दृष्टि जैन परिवार के सौजन्य से किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर प्रधान अजय जैन ने की तथा संचालन महामंत्री पुनीत गोल्डी जैन व उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कलश स्थापित कर किया गया। पं. शील चंद जैन ने संबोधित करते हुये कहा कि अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर प्रगतिशील परंपरा के संस्थापक 24वें तीर्थंकर हुये है, उन्होंने अपनी व्रत संबंधी प्रतिशील क्रांति के द्वारा जैन धर्म को युगानुकूल रूप दिया। उन्होंने बताया कि तीर्थंकरों की यह परंपरा वैज्ञानिक दृष्टि से सत्य का अन्वेषण करने वाली एक प्रमुख परम्परा रही है। महावीर की साधना वीतरागता की साधना थी। इस प्रकार इस युग की तीर्थंकर परम्परा की अंतिम कड़ी भगवान महावीर हैं। भगवान ने जनजीवन को तो उन्नत किया ही, साथ ही उन्होंने साधना का ऐसा मार्ग प्रस्तुत किया जिस मार्ग पर चल कर सभी व्यक्ति सुख व शांति प्राप्त कर सकते है। चक्रेश जैन ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने साधु के 28 मूल गुणों को स्वीकार किया और साधना द्वारा अपने गुप्त आत्म वैभव को प्रकाशित करने का प्रयास किया। तीर्थंकर महावीर अपने समय के महान तपस्वी ही नहीं थे, बल्कि एक उच्च कोटि के विचारक भी थे। उन्होंने धर्म और दार्शनिक विचारों को साधू जीवन के मुक्ति के साथ नीबद्ध कर क्रियात्मक रूप दिया। पवन जैन ने कहा कि धर्म सुख का कारण है, जो धारण किया जाये या पालन किया जाये व धर्म है। जिसका कोई स्वभाव न हो पर आचार रूप धर्म केवल चेतन आत्मा में पाया जाता है। वास्तव में धर्म आत्मा को परमात्मा बनाने का मार्ग बताता है। मनुष्य के विचार भी आचार से निर्मित होते है और विचारों से निष्ठा व श्रद्धा उत्पन्न होती है। उन्होंने आगे बताया कि सम्यग्दर्शन के अभाव में न तो ज्ञान ही सम्यक् होता है और न चरित्र ही। लज्जा मानव जीवन का आभूषण है, लज्जाशील जीवन स्वाभीमान की रक्षा हेतु अपयश के भय से कभी कदाचार में प्रवृत नहीं होती है, यही भगवान महावीर का संदेश रहा है। भगवान महावीर का मुख्य संदेश अहिंसा रहा है, क्योंकि अहिंसा द्वारा ही हृदय परिवर्तन सम्भव है, यह मारने का नहीं सुधारने का सिद्धांत है। अपराध एक मानसिक बीमारी है, इसका उपचार प्रेम, स्नेह, सद्भाव के द्वारा किया जा सकता है। इस अवसर पर समाज के गणमान्य व्यक्ति, महिलाएं तथा बच्चे उपस्थित रहे
फोटो नं. 1 व 2 एच.
पाठ करते व आरती करते श्रद्धालु………..(डा. आर. के. जैन)

संत निरंकारी मिशन द्वारा प्रोजेक्ट अमृत के तहत की गई यमुना के घाटों की सफाई
यमुनानगर, 24 फरवरी (डा. आर. के. जैन):
संत निरंकारी मिशन द्वारा प्रोजेक्ट अमृत तीसरे चरण के तहत स्वच्छ जल-स्वच्छ मन महिम के अंतर्गत यमुनानगर में बाडी माजरा पुल से लेकर ग्रे पेलिकन रेस्ट हाउस तक स्वच्छता अभियान चलाया गया। इस अभियान के अंतर्गत यमुना नहर के घाट व आसपास की सफाई की गई जिसमें सेवा दल के सैकड़ों भाई-बहनों से स्वेच्छा से सेवाएं की। सेवा दल के भाई बहनों द्वारा सफाई की गई और यमुना के घाटों पर पड़े पॉलिथीन कचरे आदि को वहां से उठाया और निगम और मिशन द्वारा भेजी गई ट्राली में भरकर कचरा प्लांट तक पहुंचाया गया। संयोजक बलदेव सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इस अभियान के तहत 27 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 1650 से अधिक स्थानों पर 10 लाख से भी अधिक सेवा भाव से ओत-प्रोत स्वयंसेवक भक्तों ने एक साथ इस पुनीत अभियान को साकार किया है। यह दृश्य केवल प्राकृतिक स्वच्छता तक सीमित न रहकर, अंतर्मन को निर्मल और पवित्र करने की एक आध्यात्मिक यात्रा का सुंदर प्रतीक बन गया है। प्रत्येक श्रद्धालु की समर्पित उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि जब प्रेम, सेवा और समरसता का दिव्य संगम होता है, तब प्रकृति भी नवजीवन का अनुभव करती है। उन्होंने कहा कि बाबा हरदेव सिंह जी के जन्मदिवस को समर्पित इस पुनीत सेवा अभियान में हर संत को जल संरक्षण की दिशा में योगदान देने का अवसर मिला। यह पहल न केवल घाटों और जलस्रोतों की स्वच्छता पर केंद्रित थी, बल्कि घरों में छोटी-छोटी आदतों के माध्यम से जल बचत को भी प्रोत्साहित करती है जिससे जल का सम्मान हो और यह अमूल्य संसाधन आने वाली पीढिय़ों के लिए संरक्षित रह सके। पर्यावरण सुरक्षा के अंतर्गत जल संरक्षण में अपनी सकारात्मक सक्रिय भूमिका निभाने हेतु ग्लोबल एनर्जी एंड एनवायरनमेंट फाउंडेशन ने संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन को प्रतिष्ठित वाटर कंजर्वेशन इनिशिएटिव एन. जी. ओ. ऑफ द ईयर 2025 पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह गौरवपूर्ण सम्मान संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट अमृत स्वच्छ जल-स्वच्छ मन और इसकी विविध जल संरक्षण एवं स्वच्छता पहलों के प्रति अथक समर्पण का प्रतीक है। निसंदेह जल संसाधनों की शुद्धता और सतत संरक्षण में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा किए गए उत्कृष्ट प्रयास समाज को स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
फोटो नं. 3 व 4 एच.
यमुना घाट की सफाई करते सेवादल के सदस्य…………….(डा. आर. के. जैन)

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