श्री दिगम्बर जैन मंदिर हमीरपुर में विराजमान अति प्राचीन एवं चमत्कारी प्रतिमाओं के दर्शन कर श्रावक श्राविकाएं धर्म लाभ प्राप्त कर रहे हैं

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फागी संवाददाता

हमीरपुर दर्शनीय स्थल के लिए पंहूच मार्ग – जयपुर से 100 किलोमीटर वाया डिग्गी – झराना, जयपुर से वाया निवाई – सोहेला 110 किलोमीटर,टोडारायसिंह से 22 किलोमीटर, मालपुरा से 30किलोमीटर।
अब भीलवाड़ा स्टेट हाईवे पर स्तिथ टोंक रियासत के ठिकाने ग्राम हमीरपुर में लगभग 400 – 450 वर्ष अति प्राचीन दिगम्बर जैन आदिनाथ जिनालय का हमीरपुर वासी कामदार परिवार के प्रसिद्ध समाजसेवी श्रेष्ठी श्री हरकचंद, भागचन्द, दानमल, मानमल, निर्मल कुमार, बडजात्या , समाज श्रेष्ठियों व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से जीर्णोद्धार के पश्चात जून 2023 में परम पूज्य चारित्र चन्र्दिका, तपोमूर्ति, श्रमणी, गणिनी आर्यिका रत्न भारत गौरव105 विज्ञाश्री माता जी ससंघ के पावन सानिध्य में वेदी प्रतिष्ठा, कलशारोहण कराकर नूतन वेदियों में मूलनायक आदिनाथ भगवान के साथ कुल 19 प्रतिमाएं विराजमान कराकर अति भव्यता प्रदान की,जिनालय में कुल 5 वेदियां है‌,मंदिर जी‌ के उपर तीन शिखर है, मुख्य शिखर 31 फिट ऊचा है जो जिनालय की शोभा बडा रहा है। मंदिर जी के मुख्य द्वार पर अति कलात्मक गुम्बद भी है साथ में चारों कोणों पर‌ चार छतरियां भी भव्यता प्रदान कर रही है जीर्णोद्धार के दोरान तलघर ( बहरा) भी मिला जिसका भी जीर्णोद्धार कराया गया। तलघर में एक ही पत्थर पर 16 प्रतिमाएँ हैं जो 1800 वर्ष प्राचीन है साथ में चार अन्य प्रतिमाएँ भी विराजमान है। तलघर में शांति प्रदान करने वाला ध्यान केन्द्र भी बनाया गया है। मुनिराजों के ठहरने के लिए भी तलघर में उत्तम व्यवस्था है।

नूतन वेदियों, प्रतिमाओं व जिर्णोद्धार में समाज भूषण, अखिल भारतीय वर्षीय तीर्थ क्षैत्र समिति राजस्थान अंचल के सम्मानीय अध्यक्ष, जाने माने वास्तुकार श्रेष्ठी श्री राजकुमार जी कोठ्यारी इंजीनियर श्री पवन कुमार जी जैन का निस्वार्थ भाव से सहयोग मिला। सम्पूर्ण जैन समाज हमीरपुर उपकृत है।

यात्रियों के ठहरने हेतु एक व्यवस्थित यात्री निवास भी है, मंदिर जी के अध्यक्ष श्रेष्ठी श्री हरक चन्द जी बडजात्या जो वर्तमान में जयपुर के महारानी फार्म स्थित गायत्री नगर में निवास कर रहे हैं ने बताया कि पूजार्थियों के लिए स्नान घर व सामग्री कक्ष भी बना हुआ है। अब यात्रियों की निरन्तरता बनी हुई है जिसके कारण नियमित रुप से श्री जी के अभिषेक के साथ शान्ति धारा कर अति पुण्य का संचय कर भाव विभोर हो जाते हैं। अब पंचपरमेष्ठी स्वरूप मुनिराजों का भी आवागमन निरन्तर बना हुआ। एक बार जिसने जिनालय के दर्शन कर लिये हैं उनकी जिनालय के दर्शन करने के लिए लालायित रहती है, तथा दर्शनार्थियों की मनोकामना भी पूर्ण होती है। मंदिर जी के सम्पर्क सूत्र – 9829074341

राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

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