क्रोध, मान लोभ व मन की कषाय का त्याग करने से ही चातुर्मास सफल: आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी
बून्दी/जहाजपुर, 30 जुलाई। गुरु गणिनी आर्यिका 105 स्वस्ति भूषण माताजी का 29वां चातुर्मास मंगल कलश स्थापना 26 जुलाई शुक्रवार को जहाजपुर के स्वस्ति मांगलिक भवन में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर माताजी ने चातुर्मास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चातुर्मास में त्याग की भावना प्रबल रखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि चातुर्मास में चार प्रकार की कषायों जिसमें क्रोध मोह मान और माया के साथ कषाय भावना का त्याग करना चाहिए।
विशाल धर्मसभा में कहा कि चातुर्मास के समय श्रावक के लिए भक्ति धर्म, व ज्ञान का समय चलता है, पूरे चातुर्मास में पूरा वातावरण भक्तिपूर्ण हो जाता है जिस स्थान पर चातुर्मास होता है उस समय पूरे गांव का वातावरण धर्ममय हो जाता है तथा श्रद्धालुओं में धर्म की प्रभावना बनी रहती है।
स्वस्तिभूषण माताजी ने कहा कि वर्षा ऋतु त्याग के लिए, सर्दी खाने के लिए, गर्मी पीने के लिए आती है। चातुर्मास में साधु साधना करता है उसका धर्म प्रभावना का छठा हिस्सा श्रावकों को मिलता है।
माताजी ने बताया कि शीघ्र ही जहाजपुर में जैन शिक्षण संस्थाओं को खोलने का प्रयास किया जाएगा जिससे बच्चों को चरित्र शिक्षा के साथ साथ जैन धर्म के शिक्षा व संस्कार मिलने लगेंगे।
इस चातुर्मास का मुख्य मंगल कलश लेने का सौभाग्य दिल्ली के आनंद कुमार, राहुल कुमार, रजत कुमार को मिला तथा पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य भी इसी परिवार को मिला। शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य मनोज कुमार आशीष को मिला। इसके अलावा 11 बडे़ कलश तथा 101 छोटे कलश रखे गए। इस अवसर पर माताजी को वस्त्र भेंट किए गए।
इससे पूर्व प्रातः माताजी का 32 माह बाद जहाजपुर में बडे़ धूमधाम गाजेबाजे के साथ मंगल प्रवेश हुआ। इस समारोह में महावीर यूनिवर्सिटी के चांसलर सुरेश जैन, पवन जैन अजमेर मंचासीन थे। स्वस्ति धाम अतिशय क्षेत्र के अध्यक्ष विनोद टोरडी ने स्वागत भाषण दिया। ब्रह्म्चारिणी स्वस्ति दीदी ने अपने विचार रखे तथा मंगलाचरण प्रियंका दीदी ने किया।
रविन्द्र काला
जैन गजट संवाददाता, बून्दी