महाराजपुर श्री 1008 नेमिनाथ दिगंबर पंचायती मंदिर महाराजपुर में आज पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म के दिन शांतिधारा सम्यक जैन शास्त्री द्वारा तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया गया दिन गुरुवार को रात्रि में भक्ति का चमत्कार नाटक कलाकार संजय जैन भोपाल एवं बाल्य कलाकार के रूप में आरव सिंघई को भी शामिल किया गया
आज रात्रि से बैराग्य की भावना वैराग्य की ओर नाटक का मंचन होना है जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी सम्लित हो कर आनंद ले रहे है
आज के प्रवचन में उत्तम मार्दव धर्म के बारे में सम्यक जैन शास्त्री खंडेरी बालों ने बताया
वह पायल पायल ही क्या जिसमें मधुर झंकार नहीं!
वह वीणा वीणा ही क्या जिसमें मधुर गुंजार नहीं!
वह मंजिल मंजिल ही क्या जिसमें उपलब्धि का संकेत नहीं!
वह मानव मानव ही क्या जिसमें झुकने के संस्कार नहीं!!
बंधुओं झुकने का मतलब मात्र सिर झुकना नहीं है झुकने का मतलब नम्र बनना है नम्र व्यक्ति सदा विश्व में आदर सम्मान पता है और अकड़ा हुआ व्यक्ति हमेशा निरादर का पात्र बनता है ठीक वैसे ही जैसे जिव्हा हमारे जन्म से हमारे साथ आती है और हमारे मरण तक साथ चलती है लेकिन अपनी अकड़ में रहते है तो पहले ही पतन को प्राप्त हो जाते है महानुभावों बात बस इतनी है कि “मैं” जो शब्द है यही अहंकार का पोषक है यह मैं ही करता हु परिवार को मैं ही पलता हु इसी मैं मैं में चक्कर में पतन की ओर चलता जाता है कहा भी गया है:-
मान करन ते मर गए, रहे न जिनके वंश!
तीनों को तुम देख लो, रावण कौरव कंश!
इसलिए आज से हमें हमारी मान कषाय पर विजय प्राप्त करना है और उत्तम मार्दव धर्म को अंगीकृत करना है