शिष्य के आचरण से गुरूकी कीर्ति वृद्धि हो,यही शिष्यत्व है,निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज

0
3
*गुरु पूर्णिमा गुरू उपकार दिवस*
*गौरेला*। *वेदचन्द जैन*।     गुरु के आशीर्वाद को किसी कालखंड की सीमा में सीमित नहीं किया जा सकता,मुझ पर मेरे गुरु आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद तो त्रैकालिक प्रभावी है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कल भी मेरे गुरु थे,आज भी मेरे गुरु हैं और कल भी मेरे गुरु रहेगें।
         गुरू पूर्णिमा के पावन दिवस पर गुरू शिष्य के संबंध को समझाते हुये निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधा सागर महाराज ने कहा कि गुरू के आशीर्वाद की महिमा अकथनीय है इसे तो स्वानुभूति से ही जाना जा सकता है।गुरू पूर्णिमा को गुरू का उपकार
दिवस बताते हुए मुनि श्री सुधा सागर महाराज ने कहा कि यह शिष्य का कर्तव्य है कि उसके आचरण से उसके गुरु की कीर्ति में वृद्धि हो,होती रहे।
मध्यप्रदेश के अशोकनगर में भव्यातिभव्य अगवानी पर आलोचना की दृष्टि रखने वालों को मुनि श्री ने संदेश देते हुए कहा कि ये अगवानी भव्यातिभव्य इसलिए हुई कि मैं संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का शिष्य हूं, इससे मेरे गुरू का यशगान हो रहा है ।
   आपने कहा कि आपके आचरण और कार्यों को देख दुनिया कहे कि ये कौन से गुरू का शिष्य है। धन्य है वो गुरू जिन्होंने शिष्य को सुयोग्य संस्कार वान बनाया। आचरण आपका और कीर्ति गुरू की बढ़े। यही सच्चा शिष्यत्व है।
      भव्यता और भक्ति के साथ मुनिपुंगव निर्यापक श्रमण श्री सुधा सागर महाराज जी की संघ सहित अशोकनगर आगमन पर अगवानी की गई।पूरे अशोकनगर को तोरणद्वारों से सजाया गया था। स्थान स्थान पर भक्तों ने परिवार सहित मुनि श्री का पाद प्रक्षालन किया। तीन दशकों के पश्चात मुनि संघ का अशोकनगर आगमन हुआ है। यहां के श्रावक दीर्घ अवधि से जगत पूज्य की प्रतीक्षा कर रहे थे।इस अवसर पर मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात महाराष्ट्र, दिल्ली सहित अनेक प्रांतों से भक्त जन उपस्थित थे। अशोकनगर में जैन जैनेतर सहित सभी समुदायों ने मुनि संघ की उत्साह और भक्ति के साथ अगवानी की।
*वेदचन्द जैन*
*गौरेला(छत्तीसगढ़)*

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here