जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज
4 अगस्त सोमवार 2025 णमोकार महामंत्र के विधान के 22 वे रोज शांति वीर धर्म स्थल पर प्रातः काल मुनि प्रज्ञानसागर महाराज के सानिध्य में भगवान का अभिषेक शांति धारा पंचामृत अभिषेक संपन्न हुआ
धर्म सभा को मुनि ने बताया कि आज का मनुष्य अपने शरीर को चमकाने के लिए नाना प्रकार की शैंपू पाउडर क्रीम आदि का इस्तेमाल कर रहा है शरीर तो इतना अशुद्ध है इतना गंदा है जो वस्तु शरीर ग्रहण करता है उसका ही वह स्वरूप बदल देता है प्रतिदिन नए-नए वस्त्र 48 प्रकार के भोजन में व्यंजन बढ़िया से बढ़िया दूध स्वादिष्ट पकवान शरीर को खिलाता आ रहा है उन सब का यह शरीर एक मल बना देता है शरीर तो कभी साफ था ही नहीं
अपनी आत्मा को साफ करने का मनुष्य को प्रयास करना चाहिए ताकि अपनी आत्मा चमकने लगे आत्मा चमकने पर शरीर तो अपने आप ही चमकने लगेगा प्रत्येक आत्मा में परमात्मा निवास करता है
मुनि ने बताया कि अपनी आत्मा को कोयले से भी ज्यादा काली हो चुकी है शरीर सफेद होने से कोई लाभ नहीं होगा अपनी आत्मा पर राग द्भेश मोह माया के कचरे से पुरी की पूरी हमारी आत्मा काली हो गई है उसे साफ करने के लिए मुनि द्वारा दी जाने वाली औषधि से ही हमारी आत्मा साफ होगी
नेल पॉलिश लिपस्टिक अशुद्ध है
मुनि ने महिलाओं को संबोधित करते हुए बताया कि अपने सौंदर्य के लिए छोटे-छोटे जीवों को मारकर यह दोनों लिपस्टिक नेल पॉलिश तैयार की जाती है इसे लगाना ही मुनि ने पाप बताया
शरीर की सुंदरता गोरे रंग के लिए दुनिया भर के क्रीम पाउडर लोग लगाते हैं इसे रंग गोरा होता तो काले लोग प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं उनका रंग अब भी काला क्यों है
मनुष्य प्रतिदिन स्नान करने में बहुत ही ज्यादा पानी का दुरुपयोग कर रहा है पानी की एक बूंद में आज संख्यात जीव मरण को प्राप्त होते हैं
गर्म पानी के लिए घरो में गीजर लगते हैं उसमें जिओ का बहुत घात होता है इसका प्रयोग नहीं करने का मुनि ने अपने उद्बोधन में बताया
स्वर्ण आभूषणों से मनुष्य की सुख शांति छीन रही है
जैन मुनि प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया इस संसार का हर प्राणी शांति चाहता है सोने के आभूषण को ही मनुष्य शांति मान बैठा है मनुष्य सुख की नींद सोना चाहता है लेकिन स्वर्ण आभूषण की लालसा इतनी बढ़ गई मनुष्य का दिन का चैन और रात की नींद कोसों दूर हो गई सुख शांति के लिए धर्म का स्मरण करें इससे सुख शांति प्राप्त होगी
महावीर कुमार सरावगी
चातुर्मास प्रचार मंत्री