शांतिनाथ के जयकारों से गुंजायमान हुआ अतिशय क्षेत्र सिहोनिया

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भगवान शांतिनाथ महामस्तकाभिषेक एवं वार्षिक मेला सम्पन्न

मुरैना/सिहोनियांजी (मनोज जैन नायक) जैन धर्मावलंबियों का प्राचीन तीर्थ सिहोनियांजी में वार्षिक मेला एवं भगवान शांतिनाथ का महामस्तकाभिषेक महोत्सव विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों के साथ हर्षोल्लास पूर्वक सम्पन्न हुआ ।
अतिशय क्षेत्र सिहोनियाजी में वार्षिक मेला एवं भगवान शांतिनाथ महामस्तकाभिषेक महोत्सव के पावन अवसर पर हजारों की संख्या में मौजूद भक्तों की उपस्थिति से पूरा अतिशय क्षेत्र भगवान शांतिनाथ के जय जयकारों से गुंजायमान हुआ ।
*इस पावन अवसर पर मुलानायक भगवान शांतिनाथ स्वामी का प्रथम कलश से महामस्तकाभिषेक करने का सौभाग्य पटेल नगर दिल्ली निवासी जैसवाल जैन परिवार के श्रावक श्रेष्ठि चौधरी मोहित जैन (केमिकल वाले) को प्राप्त हुआ । भगवान कुंथनाथ स्वामी एवं अरहनाथ स्वामी का मस्तकाभिषेक जैसवाल जैन युवाजन दिल्ली परिवार की ओर से अजय जैन बॉबी, अनिल जैन, रॉबिन जैन दिल्ली ने किया । प्रबल पुण्य के भागी चौधरी मोहित जैन दिल्ली ने शांतिधारा करने का पुण्य भी प्राप्त किया । तत्पश्चात सैकड़ों की संख्या में उपस्थित जिनेन्द्र प्रभु के भक्तों ने जलाभिषेक किया । महा मस्तकाभिषेक के समय प्रभु जी के जयकारों के साथ पूरा वातावरण भक्ति रस में सरोवर जो गया ।
जैन तीर्थ सिहोनियाजी की पावन धरा पर भूगर्भ से निकली अति प्राचीन अतिशयकारी जैन प्रतिमाएं विराजमान हैं। प्राप्त शिलालेखों, साहित्यकारों एवं पुरातत्वविदों के अनुसार उक्त प्रतिमाएं ग्यारहवीं शताब्दी की बताई जाती हैं। मुख्य मंदिर जी के विशाल एवं भव्य हॉल में 16 फुट उत्तुंग तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ स्वामी एवं उनके आजू बाजू में 11 11 फुट की उत्तुंग भगवान कुंथनाथ स्वामी एवं भगवान अरहनाथ स्वामी की प्रतिमाएं विराजमान हैं। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र सिहोनिया एकमात्र ऐसा जैन तीर्थ है जहां पर भूगर्भ से निकली प्रतिमाएं उसी स्थान पर विराजमान हैं, जहां से वे प्रगट हुई थीं। प्रति वर्ष क्वार वदी दोज को वार्षिक मेला एवं मूलनायक भगवान शांतिनाथ, कुंथनाथ, अरहनाथ स्वामी का महामस्तकाभिषेक का आयोजन किया जाता है। जिसमें संपूर्ण भारतवर्ष के जैन धर्मावलंबी हजारों की संख्या में सम्मिलित होते हैं ।
इस अवसर पर प्रातःकालीन बेला में प्रातः 07.00 बजे जलाभिषेक, शांतिधारा, नित्यनियम पूजन किया गया । प्रातः 10.00 बजे से श्री शांतिनाथ महामंडल विधान हुआ । दोपहर 02.00 बजे से मूलनायक प्रतिमाओं का महामस्तकाभिषेक हुआ । विधान, महामस्तकाभिषेक एवं अन्य सभी आयोजनों को प्रतिष्ठाचार्य पं. राजेन्द्र जैन शास्त्री मगरौनी एवं संजय शास्त्री सिहोनियाँ मंत्रोचारण के साथ विधि विधान पूर्वक संपन्न कराया ।कार्यक्रम पश्चात आगंतुक सभी साधर्मी बंधुओं के लिए आयोजकों की ओर से वात्सल्य भोज की व्यवस्था रखी गई थी।
आज अतिशय क्षेत्र में भारी जनसमुदाय मौजूद था । आज के आयोजन में अंबाह, मुरैना, भिंड, गोहद, मेहगांव, ग्वालियर, मुरार, लश्कर, धौलपुर, राजाखेड़ा, मनिया, दिल्ली सहित संपूर्ण भारत वर्ष से लगभग 4000 श्रद्धालु सम्मिलित हुए ।
सिहोनिया की में जो प्रतिमाये भू-गर्भ से प्राप्त हुई वो आज भी उसी स्थान पर विराजमान है जहां से वे प्राप्त ही थी ।। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक खण्डित प्रतिमाए भी प्राप्त हुई जो संग्रहालय बनाकर स्थापित कर दी गई हैं।

यात्रियों के लिए क्षेत्र पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। आवास हेतु लिए एसी एवं डिलक्स कमरे एवं अन्य कार्यक्रमों हेतु हॉल आदि की व्यवस्था उपलब्ध है। क्षेत्र पर साधर्मी बंधुओं के लिए भोजनालय एवं केन्टिन आदि की समुचित व्यवस्था रहती है।

यह क्षेत्र ग्वालियर-भिंड राजमार्ग पर मालनपुर वाराहेट होते हुऐ ग्वालियर से 55 कि.मी. है एवं मुरैना (ग्वालियर – आगरा मार्ग) से 33 किलोमीटर है। मुरैना रेलवे स्टेशन के नजदीक से प्रतिदिन सिहोनियों जी के लिए बसें, टैक्सी आदि उपलब्ध रहती है।

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