शांति वीर धर्म स्थल पर छोटे बच्चों द्वारा चित्रकला प्रतियोगिता संपन्न हुई
जैन मुनि प्रज्ञानसागर प्रसिद्ध सागर महाराज के परम सानिध्य
12 अक्टूबर रविवार 2025
शांतिवीर धर्मस्थल पर दोपहर 1:00 जैन मुनि प्रज्ञानसागर प्रसिद्ध सागर महाराज के सानिध्य में छोटे बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता संपन्न से पूर्व णमोकार मंत्र का वादन किया गया
इस प्रतियोगिता में 61 शिक्षार्थियों ने भाग लिया जिनकी उम्र 5 वर्ष से 10 वर्ष तक थी सभी बच्चों द्वारा ड्राइंग में पांच चित्रों में कलर भरे गए
सभी बच्चों को 1 घंटे का समय दिया गया था बच्चों को समिति द्वारा
ड्राइंग कलर अल्पाहार दिया गया
मनुष्य का जीवनी एक रथ के समान है
जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज ने बताया कि मनुष्य कभी धूप में बैठना चाहता है कभी छाया में बैठना चाहता है हमारी जिंदगी में सुख-दुख आते हैं वह स्थाई रहते नहीं है वह भी चले जाते हैं जिंदगी का दूसरा नाम ही दुख है सूर्य उदय हुआ है उससे भी अस्त निश्चित होना है सुख दुख का एक रिश्ता है यह दोनों स्थाई नहीं है सुख मिलने पर पूरा जीवन सुख आनंद प्राप्त करता है और दुख मिलने पर मनुष्य दुखी हो जाता है मनुष्य का भ्रम बना हुआ है
कहता है मेरे भाग्य में दुखी दुख लिखा हुआ है सुख नहीं मिलता
भगवान महावीर स्वामी बताते हैं जो तुम्हें दुख दे रहा है उसे सुख देने का प्रयास करो वह भी तुम्हारे लिए सुख खोज कर लेगा
महात्मा गांधी जेल में थे एक व्यक्ति उन्हें बहुत परेशान करता था वह व्यक्ति बीमार हो गया महात्मा गांधी देश के लिए सत्याग्रह में जेल गए थे उसके पास जेल में एक कैदी बहुत अपराधी था उन्हें बहुत परेशान करता था रात को उसको बहुत तेज बुखार हो गया रात भर उसकी मर्म पट्टी करते रहे उसे सुबह मालूम हुआ कि महात्मा गांधी को पूरी रात मेरी सेवा की है उन्हें मे परेशान करता था तो महात्मा गांधी उसकी रात भर सेवा करने पर भक्त बन गया जैसा परिणाम करोगे फल वैसा ही मिलेगा
साधु को अपने कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिए
प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया कि मनुष्य का जीवन संयम के बिना बेकार है उसी प्रकार साधु अपने कर्तव्य से विचलित होता है तो साधु कहलाने का हकदार नहीं है आग लगते से बुझाने का प्रयास करते हैं पहले अपनी तलाश करते हैं जब आग से बचाने के लिए अमूल्य वस्तु हम बचाने का प्रयास करते हैं सबसे पहले हम गेहूं को एक स्थान से हिंदुस्तान पर रखेंगे इससे हमारा परिवार का पलता है गेहूं बहुत जरूरी है मनुष्य से ज्यादा कुत्ता वफादार मुनि ने बताया कि मनुष्य इस समय बेवफा हो सकता है कुत्ता अपनी वफादारी करता है मुनि ने यह भी बताया कि सात जन्म लेने पर भी माता के बराबर हितकारी कोई नहीं हो सकता माता ही जीवन में सबसे बड़ी मित्र और सबसे हितकारी होती है जो बच्चों को ज्ञान का मार्ग बतलाती है
महावीर कुमार सरावगी
चातुर्मास प्रचार मंत्री