महावीर दीपचंद ठोले,छत्रपतीसंभाजीनगर, 7588044495
आज की दुनिया विज्ञान और तकनीक से प्रगति कर रही है, परंतु मानवता अशांति, युद्ध और नफ़रत की आग में झुलस रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया है, मध्य-पूर्व में हिंसा लगातार निर्दोषों का रक्त बहा रही है, आतंकवाद और धार्मिक कट्टरता समाज को तोड़ रहे हैं। ऐसे समय में जैन धर्म का क्षमावाणी पर्व केवल धार्मिक परंपरा न होकर, मानवता को वैश्विक शांति और मैत्री का एक अनमोल संदेश देता है। जैन आगम, आचार्य परंपरा आधुनिक शांती अध्ययन के दृष्टीकोणसे यह सिद्ध किया गया है कि क्षमा केवल नैतिक सद्गुण नही, बल्की वैयक्तिक, सामाजिक और कूटनीतिक तीनो स्तरो से कार्य शील एक व्यावहारिक उपकरण है।
इतिहास गवाह है कि अधिकांश युद्ध अहंकार और प्रतिशोध की भावना से जन्मे। देशों का अहंकार सीमाओं पर, समाज का अहंकार जाति-धर्म पर और व्यक्ति का अहंकार अपनी मान-प्रतिष्ठा पर टिका हुआ है।
क्षमावाणी पर्व हमें सिखाता है कि—
“अहंकार त्याग कर ही सच्ची मित्रता का मार्ग प्रशस्त होता है।”आज दुनिया प्रतिशोध की राजनीति पर चल रही है। हमलावर – प्रतिघात की श्रृंखला में निर्दोष जनता पिस रही है। यदि मानवता क्षमा का भाव अपनाए तो प्रतिशोध का यह चक्र रुक सकता है।
जैसे जैन परंपरा में “मिच्छामि दुक्कडम्” कहकर हम सभी से क्षमा माँगते हैं, वैसे ही राष्ट्र और समाज आपसी विरोध के स्थान पर संवाद और क्षमा की परंपरा अपनाएँ तो विश्व में शांति संभव है।
आज धार्मिक आतंकवाद और पंथवाद दुनिया को बाँट रहा है। क्षमा पर्व हमें बताता है कि—“मत-भेद हो सकते हैं पर मन-भेद नहीं।”
यदि इस पर्व की भावना को विश्व स्तर पर अपनाया जाए तो हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, जैन सभी समुदाय एक-दूसरे को क्षमा कर मैत्री का हाथ बढ़ा सकते हैं। यही वसुधैव कुटुम्बकम् की सच्ची व्याख्या है।
विज्ञान ने हमें परमाणु बम और आधुनिक हथियार दिए हैं, पर मानवीय मूल्य नहीं। क्षमा वाणी पर्व बताता है कि विज्ञान और शक्ति तभी सार्थक है जब उसमें क्षमा और करुणा का संतुलन हो। यदि हथियारों पर खर्च होने वाला धन शिक्षा और स्वास्थ्य पर लगे तो मानवता की पीड़ा मिट सकती है।
क्षमा केवल धार्मिक उपदेश नहीं, बल्कि व्यावहारिक कूटनीति है।
यदि रूस और यूक्रेन परस्पर क्षमा और संवाद का मार्ग अपनाएँ, तो लाखों लोग सुरक्षित हो सकते हैं।
यदि भारत और पाकिस्तान क्षमा की भावना से रिश्ते सुधारें, तो एशिया शांति का केन्द्र बन सकता है।
यदि सामुदायिक हिंसा और नफ़रत की राजनीति करने वाले नेता क्षमा का अभ्यास करें, तो समाज में भाईचारा स्थापित होगा।
“जहाँ क्षमा है, वहाँ प्रतिशोध की ज्वाला शांत हो जाती है,
जहाँ मैत्री है, वहाँ युद्ध की दीवारें टूट जाती हैं।”
“नफ़रत के अँधेरों को मिटाना है अगर,
तो क्षमा की मशाल जलानी होगी।”
आज मानवता जिस मोड़ पर खड़ी है, वहाँ केवल परमाणु शक्ति, धन और राजनीति समस्याओं का हल नहीं दे सकते। आवश्यकता है— आध्यात्मिक शक्ति की, जो क्षमा वाणी पर्व के रूप में हमारे पास उपलब्ध है।यदि हर व्यक्ति, हर समाज और हर राष्ट्र क्षमा माँगने और क्षमा देने की परंपरा अपनाए तो विश्व में मैत्री, शांति और करुणा का नया अध्याय लिखा जाएगा।पंथ,राष्ट्र की दीवारे छोटी हो जाएगी और विश्व मैत्री का युग प्रारंभ होगा।यही है— क्षमा-वाणी पर्व का वैश्विक संदेश।
श्री संपादक,
सा जयजिनेद्र,
प्रकाशित होने वाले क्षमा वाणी पर्व विशेषांक के लिए आलेख भेजा है।कृपया प्रकाशित कर उपकृत करे धन्यवाद।
महावीर दीपचंद ठोले छत्रपतीसंभाजीनगर
7588044495।