क्षमा वाणी ही विश्व में एक मात्र ऐसा पर्व है जिसे जैन समाज ही मनाती है

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* जैन संत मुनि श्री 108 सुयश सागर जी महामुनिराज
* इंदौर -भगवान बाहुबली दिगंबर जैन ट्रस्ट गोम्मटगिरी के तत्वावधान में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी गोमटगिरी में भगवान बाहुबली के पाद मूल में बैठकर मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज एवं आर्यिका शुद्ध मति माताजी के ससंघ सानिध्य में सामूहिक क्षमा वाणी पर्व मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री सुयश सागर जी महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि क्षमावाणी पर्व ही एकमात्र ऐसा पर्व है जिसे विश्व में केवल जैन समाज ही मनाती है। क्षमा मांगने और देने की परंपरा की शुरुआत आदि तीर्थंकर आदिनाथ भगवान के पुत्र भरत एवं बाहुबली से हुई थी। आप सभी का सौभाग्य है कि उन्ही भगवान बाहुबली की प्रतिमा के समक्ष आज हम सब सामूहिक क्षमा वाणी मना रहे हैं।
आपने आगे कहा कि क्रोध, कषाय और बैर की गांठ खोलकर और अंतरंग में क्षमा धारण कर उससे क्षमा मांगना चाहिए जिसके प्रति तुम्हारे में अंतरंग में
कलुषता है वही सच्ची क्षमा होगी और तभी क्षमा वाणी पर्व मनाना सार्थक होगा।
इस अवसर पर आर्यिका शुद्ध मति माताजी ने कहा कि क्षमावाणी पर्व एक दिन एक,एक माह या एक वर्ष का पर्व नहीं है यह तो शाश्वत पर्व है और सभी लोगों को सभी जीवो के प्रति जीवन पर्यंत अंतरंग में क्षमा का भाव रखना चाहिए और बैर विरोध अथवा विवाद होने पर अंतस से क्षमा मांगना चाहिए। आपने आगे कहा कि आपकी वाणी शत्रु भी बना सकती है और शत्रुता भी मिटा सकती है। इसलिए परस्पर मे मधुर और ऐसी वाणी बोलें जिसमें क्षमा प्रेम करुणा और संवेदनशीलता हो ताकि लोगआपसे जुड़ते जाएं।
प्रारंभ में श्री संदीप मोयरा, नरेंद्र वेद, पिंकेश टोंग्या,ने मुनिश्री का पाद प्रक्षालन किया एवं। कैलाश वेद, डॉ जैनेन्द्र जैन प्रदीप बड़जात्या , विमल सेठी , जैनेश झांझरी, राजेश दद्दू, राजेंद्र गंगवाल एवं ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने मुनिश्री के समक्ष श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। राजेश जैन दद्दू ने बताया की इस अवसर पर भगवान बाहुबली दिगंबर जैन ट्रस्ट द्वारा इस वर्ष पर्यूषण पर्व में
तीन, पांच,दस और इससे अधिक उपवास की तप साधना करने वालों को दुपट्टा, पहनाकर एवं प्रशस्ति पत्र और शास्त्र भेंट कर उनका सम्मान किया गया। सभा का संचालन ट्रस्टी श्री सौरभ पाटौदी ने किया। पश्चात मुनि संघ एवं आर्यिका संघ के सानिध्य में श्रीजी का अभिषेक एवं शांति धारा संपन्न हुई शांति धारा करने का सौभाग्य ट्रस्टी विमल सेठी को प्राप्त हुआ।
संकलन कर्ता कोडरमा जैन राज अजमेरा/राजेश जैन दद्दू

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