क्षमा मांगना सरल है किंतु क्षमा करना कठिन है ,देव ,शास्त्र तीर्थ क्षेत्र गुरुओं से पहले क्षमा मांगना चाहिए

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क्षमा मांगना सरल है किंतु क्षमा करना कठिन है ,देव ,शास्त्र तीर्थ क्षेत्र गुरुओं से पहले क्षमा मांगना चाहिए

आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज

फागी संवाददाता

टोंक शहर में आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज जी ससंघ के पावन सानिध्य में क्षमावाणी पर्व पर पुण्यार्जक परिवारों द्वारा श्रीजी का अभिषेक ,शांतिधारा किया गया इस अवसर पर आयोजित धर्म सभा में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने बताया कि मैं सबको क्षमा करता हूं जिसने क्रोध का त्याग किया है वही यह कह सकता है सभी से क्षमा मांगना सरल है किंतु क्षमा करना कठिन है क्योंकि मानी व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता है सभी प्राणियों के प्रति मैत्री भाव रहे सबको अपने समान समझना मैत्री भाव है धर्म छोड़ने,क्षमा छोड़ने से वाद विवाद कोर्ट कचहरी होते हैं ।सभी साधु क्षमा भाव धारण करते हैं उन्होंने बताया कि प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज पर राजाखेड़ा में 500 व्यक्तियों ने हमला किया पूर्वाभास कारण संघ कमरे के भीतर होने से सुरक्षित रहा किंतु समाजजनों को चोट आई। पुलिस आने पर हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया किंतु आचार्य श्री शांतिसागर जी ने उसे क्षमा करके पुलिस को यही कहा कि इन्हें छोड़ दो नहीं तो मैं आहार ग्रहण नहीं करूंगा।यह आचार्य श्री का क्षमा, समता भाव का उत्कृष्ट उदाहरण हैं यह मंगल देशना क्षमावाणी पर्व के अवसर पर आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने प्रगट की कार्यक्रम में समाज के प्रवक्ता पवन कंटान ने बताया कि आचार्य श्री ने मंगलमय प्रवचन में आगे बताया कि क्षमा वास्तव में किन से मांगना चाहिए सबसे पहले भगवान से क्षमा याचना करना चाहिए कि हम आपकी वाणी का, आपके शास्त्रों का पालन नहीं कर रहे हैं,तीर्थ क्षेत्रों , मंदिरों ,जिनवाणी से क्षमा मांगना चाहिए कि हम आपकी रक्षा नहीं कर रहे है। आचार्य सहित सभी साधुओं से क्षमा याचना करना चाहिए।इसके बाद वास्तव में जिससे बोल चाल बैर हो उनसे फिर आपस में एक दूसरे से क्षमा मांगना चाहिए तभी यह पर्व सार्थक होगा। क्षमा विश्वशांति का संदेश है राष्ट्र ,समाज ,परिवार, क्षमा के अभाव में बिखर जाते हैं क्योंकि कर्मों के उदय से परिस्थितियों ऐसी उत्पन्न होती है कि आप एक दूसरे से बैर रखते है प्राचीन मुनियों सुकुमाल मुनि ,सुकौशल मुनि और पांच पांडव मुनिराजो की कहानी के माध्यम से बताया कि पूर्व जन्म के बैरी ने इन पर उपसर्ग किया किंतु इन्होंने समता धारण कर उपसर्ग पर क्षमाभाव रखा,बैर से सुख शांति नहीं मिलती ,समाज प्रवक्ता पवन कंटान व विकास जागीरदार के अनुसार आज 16 उपवासी मुनि श्री धेर्य सागर जी एवं 32 उपवास करने वाली श्राविका श्रीमती बाला तथा लोकेश के 11 उपवास का पारणा हुआ, कार्यक्रम में दूध ,घी ,केसर ,चंदन सर्व औषधी, नारियल, दाडिम रस, तथा अन्य फलों के रसो से भव्य पंचामृत अभिषेक हुए उसके पश्चात श्रीजी की माला पहनने का सौभाग्य श्रेष्ठी श्री पारसचंद, अनिल, सुनील, विनोद, अभिषेक, दर्श सर्राफ परिवार को मिला श्री दिगंबर जैन नसिया और बड़ा तख्ता जैन मंदिर में सामूहिक क्षमावाणी पर्व आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया इसको लेकर सभी लोग एक दूसरे से साल भर में की गई गलतियों क्षमा याचना करी। इस मौके पर भागचंद फूलेता, धर्मचंद दाखिया, पदमचंद आंडरा, धर्मेंद्र पासरोटिया, श्याम लाल जैन, सुरेशचंद संघी, पप्पु मलारना, महावीर पासरोटियां, महावीर दाखिया, विकास अत्तार, कमल सर्राफ, नीटू छामुनिया, पंकज छामुनिया, मुकेश बरवास, पंकज फूलेता, मुकेश करवर, सोनू पासरोटिया, सुनील सर्राफ, पुनीत जागीरदार, मनीष अत्तार, सुमित दाखिया, अम्मू छामुनिया, अनिल कंटान आदि समाज के लोग उपस्थित थे ।

राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

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