आहार /भोजन हर व्यक्ति का अपना अपना चयन होता हैं .जब हम १० रूपया का घड़ा खरीदते हैं तो उसे ठोक बजा कर देखते हैं ,उसी प्रकार जब अपना आहार /भोजन का चयन करते हैं तो उसके ऊपर भी सोच विचार करना आवश्यक होना चाहिए .पर आजकल जल्दी स्वस्थ्य ,पुष्ट होने के लिए हम अखाद्य पदार्थों का चयन कर खाते हैं .भोजन यानी भोग से जल्दी नष्ट होना ,आहार यानी आरोग्यवर्धक और हानिरहित कहलाता हैं .शाकाहार यानी शांति कारक और हानिरहित को शाकाहार कहते हैं और मांसाहार यानी मानसिक और शारीरिक हानि पहुंचाए उसे मांसाहार कहते हैं .
शाकाहार और मांसाहार रसायन दृष्टिकोण से प्रोटीन ,खनिज ,फैट कर्बोहइड्रेट आदि से समान होते हैं पर मानसिक और कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो मानव जाति के लिए लाभकारी नहीं होते .सामान्य अंतर समझ लेना जरुरी हैं —
1. स्वास्थ्य लाभ: एक सुनियोजित शाकाहारी भोजन फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और फलियों से भरपूर होता है, जो हृदय रोग, मोटापे और कुछ कैंसर के कम जोखिम के लिए जाने जाते हैं। इसके विपरीत, मांस में उच्च आहार इन स्वास्थ्य समस्याओं के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ है।
2. पर्यावरणीय प्रभाव: पशु कृषि वनों की कटाई, जल प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक प्रमुख कारण है। एक शाकाहारी भोजन के लिए कम संसाधनों की आवश्यकता होती है और इसमें कम कार्बन फुटप्रिंट होता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।
3. नैतिक विचार: कई शाकाहारियों का मानना है कि भोजन के लिए जानवरों को मारना नैतिक रूप से गलत है। शाकाहारी भोजन का चयन करके, भोजन के लिए पाले जाने वाले पशुओं की संख्या को कम कर दिया जाता है और उपभोग के लिए मार दिया जाता है।
४ लागत प्रभावी: एक शाकाहारी भोजन आम तौर पर एक ऐसे आहार से कम खर्चीला होता है जिसमें मांस शामिल होता है। पौधे-आधारित प्रोटीन जैसे बीन्स, दाल और टोफू अक्सर पशु-आधारित प्रोटीन की तुलना में कम महंगे होते हैं। इसके लिए इस बात से हम सही समझ सकते हैं —जैसे आलू प्याज़ टमाटर ,मटर, दालें सब्जियां दूध और अन्य दूध जन्य खाद्य सामग्री मांसाहार की अपेक्षा सस्ती हैं जैसे चिकिन आदि के भाव अत्यंत महंगे हैं और कई प्रकार से हानिकारक भी होते हैं .
5. पोषण संबंधी पर्याप्तता: एक सुनियोजित शाकाहारी आहार इष्टतम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकता है। पर्याप्त योजना और विभिन्न प्रकार के विकल्पों के साथ, शाकाहारी सभी प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व प्राप्त कर सकते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है।
6. दीर्घायु: अध्ययनों से पता चला है कि शाकाहारियों में जल्दी मृत्यु का जोखिम कम होता है और मांसाहारियों की तुलना में औसतन अधिक समय तक जीवित रहते हैं।
7. वजन प्रबंधन: शाकाहारी भोजन में अक्सर मांस आधारित आहार की तुलना में कैलोरी और वसा की मात्रा कम होती है, जो वजन प्रबंधन और मोटापे के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
8. एंटीबायोटिक प्रतिरोध: कारखाने के खेतों में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग से एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया का विकास हो सकता है। शाकाहारी भोजन का चयन करके, कारखाने के खेतों से मांस की मांग कम हो जाती है और एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया के प्रसार को धीमा करने में मदद मिल सकती है।
याद रखें, आपके आहार विकल्प चाहे जो भी हों, यह महत्वपूर्ण है कि आप सूचित निर्णय लें और अपने भोजन विकल्पों के नैतिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों पर विचार करें। जो आहार जितना सात्विक होगा वह शांतिकारक पौष्टिक और लाभप्रद होता हैं ,
-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद्