-पुरुष को शुद्ध सफेद वस्त्र व महिलाओं को केशरिया वस्त्र पहन कर जाना चाहिए
-पर्वत पर चढ़ने का समय सुबह-3 से 4 के बीच रखना चाहिए,
-साथ में अर्घ, मार्क की हुयी लकड़ी, छोटा टोर्च, टोंक पुजन की किताब, पानी की बोतल आदि ले जाना चाहिए,
-परिचय पत्र अपने गले में लटकाकर रखना चाहिए,
– प्रत्येक टोंक पर अर्घ सफाई से तथा उचित स्थान में चढ़ाना चाहिए,
-वन्दना ग्रुप व भक्तिमय जयकारा के साथ करना चाहिए,
-हर किसी से मुलाकात होने पर जयजिनेन्द्र कहना चाहिए,
-किसी को सहायता की जरूरत हो तो सहयोगिता का प्रयास करना चाहिए,
-पर्वत पर कहीं गन्दगी दिखे तो सफाई का प्रयास करना चाहिए,
-पर्वत पर किसी प्रकार की शिकायत हो तो नीचे शिकायत पत्र कमेटी को लिखित रूप से देना चाहिए,
-डोली व गोदी वाला अगर साथ लेना है तो कमेटी द्वारा रजिस्टर्ड किया हुआ ही लेना चाहिए |
क्या-क्या नहीं करना चाहिए?-
-पर्वत पर जुते-चप्पल का परहेज करना चाहिए,
-पर्वत पर खरीद कर कुछ खाना व पीना नही चाहिए,
-पर्वत को पिकनिक स्पॉट नहीं बनाना चाहिए,
-पर्वत पर कुछ लिखना व स्टिकर आदि नहीं चिपकाना चाहिए,
-पर्वत पर भिखारियों को परहेज करना चाहिए,
-शोर्टकार्ट रास्ता नहीं अपनाना चाहिए,
-पर्वत पर र्झुठे बर्तन फेककर गन्दगी नहीं करना चाहिए,
-पर्वत पर वाहन का उपयोग पर परहेज रखना चाहिए |
मेरे हिसाब से ये सब सावधानी बरतने से ही पर्वत की पवित्रता बरकरार रहेगी तथा हमारी सम्मेद शिखर पर्वत वन्दना सुखदायी व यादगार बन जायेगी |
-संजय कुमार जैन बड़जात्या धुलियान पश्चिम बंगाल
सभी संप्रदायों के जैन सदस्यों को वंदना के दौरान निर्धारित नियमों और विनियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। उन्हें स्वयं अपनी कमियों को सुधारना चाहिए तभी समस्याओं का समाधान होगा। अन्य लोगों को उपदेश देने से पहले जैनियों को पहले अपनी गलतियों को भी सुधारना होगा। जो जैन भूख और अन्य प्रतिबंधों को सहन करने में असमर्थ हैं उन्हें वंदना नहीं करनी चाहिए। उन्हें तलहेटी जिनालयों में दर्शन और पूजा करनी चाहिए।