शाहपुर –
जिन दर्शन में ६ की बहुत महिमा है, मुनि धर्म हो या श्रावक धर्म हो । मुनि धर्म का पालन करने के लिए पुराणों में ६ आवश्यक्त कर्तव्यों का वर्णन किया गया है, उसी प्रकार देव पूजा, आदि श्रावक के ६ कर्तव्य कहे गये उक्त उद्गार प. प. उपाध्याय श्री विशेषसागर जी गुरुदेव ने दिनांक १२-४-२०२५ को शाहपुर, जिला बुरहानपुर में मंगल प्रवेश के पश्चात धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा।
पू. उपाध्याय श्री ने आगे कहा दिग-संतों का दर्शन शुभ का प्रतिक है, मंगल है ,अमंगल का नाशक है, उनका विहार भी मंगल के लिए होता है और आगमन भी मंगल के लिए होता है क्योंकि वे स्वयं मंगल है। ज्ञातव्य हो कि पू उपाध्याय श्री विगत १० वर्षों से महाराष्ट्र, प्रांत में धर्म प्रभावना कर रहे थे, पू.उपाध्यायश्री ससंघ का महाराष्ट्र से इंदौर की और मंगल विहार शुरू है।
पु. उपाध्याय श्री ससंघ का स्तंभचौक में नगर परिषद अध्यक्ष साधना वीरेन्द्र तीवारी, उपाध्यक्ष गोपालचौधरी ,पार्षद विनोद चौधरी, मंडल अध्यक्ष आकाश महाजन आदि ने भव्य आगवानी की ढोल-ताशों के साथ नगर के प्रमुख मार्गों से होकर उपाध्याय श्री ससंघ श्री १००८ संभवनाथ मंदिर पहुँचे । १३.४.२५ को शांतिनाथ विधान संपन्न हुआ।
✍️विनोद रोकडे जैन मालेगांव