शब्दों के अर्थ कैसे बदलना है, इसमें सब माहिर है

0
5
आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज औरंगाबाद /हैदराबाद.               पियुष कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा.          भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार
कुलचाराम हैदराबाद की  अहिंसा संस्कार पदयात्रा      चल रहा है  विहार  के दौरान भक्तौ हैदराबाद  के जैन मंदिर मे  प्रवचन मे कहाॅ की
शब्दों के अर्थ कैसे बदलना है, इसमें सब माहिर है..!
इसलिए मुंह में जुबान तो सब रखते हैं, मगर कमाल तो वो करते हैं, जो इसको संभाल कर उपयोग करते हैं। तभी तो रिश्ते गलती से नहीं, हमारी एक गलत फहमी से टूट जाते हैं।और आज इंसान बातें वहीं क्लियर करता है जहाँ उसे रिश्ता रखना होता है, वरना लोग तो कहते ही हैं – अच्छा हुआ जान छूटी।
आज के समय में बहुत जरूरी हो गया है कि सम्बन्धों को बचाने के लिये, हम अपने शब्द कोश पर सोच विचार करें, और छोटे, ओछे, झूठे, तीखे, कटाक्ष, अपमान, द्वेष, ईर्ष्या भरे शब्दों का इस्तेमाल ना करें, सभ्य होने के नाते। क्योंकि —
दिल से नाज़ुक नहीं कोई चीज मित्रो..
लफ्ज़ का वार भी खंजर की तरह लगता है…!!! पियुष कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा औरंगाबाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here