स्कूलों में तंबाकू नियंत्रण पर शिक्षा विभाग ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा : बिना अभिभावक कमेटी किस काम की – संयुक्त अभिभावक संघ

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जयपुर। स्कूलों में विद्यार्थियों द्वारा किये जा रहे तंबाकू सेवन पर नियंत्रण को लेकर शिक्षा विभाग ने मंगल को प्रदेश के 70 हजार स्कूलों में तंबाकू नियंत्रण कमेटी गठित करने की घोषणा की है। इस घोषणा पर संयुक्त अभिभावक संघ ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ” शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है और तंबाकू मुक्त स्कूल का ढिंढोरा पीटने के लिए बिना अभिभावक कमेटी गठन कर रहा है। जबकि स्कूलों, स्कूलों के आस-पास और 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू नही बेचने का कानून पहले से ही राज्य में लागू है उसके बावजूद खुलेआम स्कूलों के बाहर 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू बेचा रहा है जिस संयुक्त अभिभावक संघ ना केवल शिक्षा विभाग में बल्कि राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरकण आयोग तक में अनगिनत बार लिखित शिकायत दर्ज करवा चुका है उसके बावजूद आजतक कार्यवाही नही हुई है।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए प्रदेशभर के सभी स्कूलों को तंबाकू मुक्त रहना चाहिए साथ ही स्कूलों के बाहर सख्त कानून लागू किया जाए और स्कूल परिसर के 500 मी. दायरे में सभी प्रकार के तंबाकू बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाए तो विद्यार्थियों को तंबाकू सेवन से बचाया जा सकता है किंतु शिक्षा विभाग केवल अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ कर बिना अभिभावक तंबाकू नियंत्रण कमेटी बना केवल स्कूलों का मुनाफा बढ़ाने का कानून बना रहे है।

वर्षो से कानून बना हुआ है 18 साल से कम उम्र के बच्चों को कोई तंबाकू नही बेच सकता पहले उसकी पालन सुनिश्चित करवाएं शिक्षा विभाग – अरविंद अग्रवाल

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि सत्ता परिवर्तन होते ही हर सरकार में पुराने कानूनों को छुपा दिया जाता है और वाहवाही लूटने और पब्लिकसिटी पाने के लिए नए कानूनों को थोप दिया जाता है। बच्चों में तंबाकू नियंत्रण को लेकर पहले से ही कानून बना हुआ है उसकी पालना तो शिक्षा विभाग से हो नही रही है और अब नया प्रोपोगंडा लेकर आ गए है, बेहतर होगा शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कार्यालयों से बाहर निकले और तंबाकू नियंत्रण को लेकर बने कानूनों की पालना सुनिश्चित करवाते हुए स्कूलों के बाहर खुलेआम बिक रहे तंबाकू बिकी पर रोक लगाएं।

स्कूलों के कमेटियों ने संचालक, शिक्षक, छात्र, पुलिस सब हो सकते है अभिभावक क्यों नही – एड. अमित छंगाणी

प्रदेश विधि मामलात मंत्री एड. अमित छंगाणी ने कहा कि स्कूलों की विभिन्न व्यवस्थाओं और अव्यवस्थाओं को लेकर शिक्षा विभाग और राज्य सरकार ने विभिन्न तरह के कानूनों और प्रावधानों को बनाया है किंतु प्रत्येक कानून व प्रावधान में सभी को जगह दी गई है किंतु बच्चों का पालन-पोषण करने वाला अभिभावक उनको कही भी जगह नही दी गई है, जबकि जब भी कोई घटना, दुर्घटना या लापरवाही होती है तो केवल अभिभावकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, किन्तु ना उनके सवालों पर चर्चा होती है, ना सुझावों पर अमल किया जाता है केवल हर मामलों पर भले ही सरकार हो या शिक्षा विभाग या फिर प्रशासन हो या फिर स्कूल संचालक हो हर कोई अभिभावकों को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते है। अगर बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध करवानी, नशा मुक्त रखना है तो अभिभावकों को भी सामान अधिकार देने होंगे तभी जाकर बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी, अभिभावकों का अपमान करने से शिक्षा में कोई सुधार नही होगा।

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