जयपुर। देश में प्रत्येक बच्चा शिक्षित हो, उन्हे बेहतर शिक्षा मिले इसको लेकर देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) लागू हुए 14 वर्ष हो गए है किंतु आज भी गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मिल रही है। राजस्थान देश में शिक्षा नगरी के रूप में पहचाने जाने वाले प्रदेशों में से एक प्रदेश है। किंतु इसके बावजूद प्रदेश में गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा नही मिल रही है, जबकि बच्चों के अभिभावक आरटीई की प्रक्रिया को अपनाकर ई मित्रों, शिक्षा विभाग और स्कूलों के ठोकरें खाने के बाद निजी स्कूलों में एडमिशन भी प्राप्त कर चुके है, जिन विद्यार्थियों को आरटीई के तहत एडमिशन मिले है उन विद्यार्थियों लॉटरी स्वयं शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक सहित विभाग के विभिन्न अधिकारियों की उपस्थिति में निकाल भी चुके है, मामला कोर्ट में जा चुका है, कोर्ट अपना आदेश भी दे चुका है लेकिन विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिला अब तक नहीं मिला है। शिक्षा का सत्र शुरू हुए दो माह से अधिक का समय बीत चुका है किंतु आरटीई में प्राप्त विद्यार्थियों की पढ़ाई आजतक भी शुरू नही हो पाई है, चिंतित अभिभावक विद्यार्थियों के भविष्य के लिए विभाग के चक्कर काट रहे है किंतु हर बार आश्वासन मिल जाते है और विभाग एक नोटिस जारी कर देता है। अब तक जयपुर जिला शिक्षा विभाग अभिभावकों की शिकायतों के आधार पर 15 नोटिस जारी कर चुका है इसमें से 3 नोटिस अंतिम चेतावनी के और 1 नोटिस शिक्षा निदेशक को 24 निजी स्कूलों की एनओसी रद्द करने की अनुशंसा को लेकर जारी हो चुके है किंतु कार्यवाही आजतक नहीं हुई और अब बुधवार 6 सितंबर जयपुर शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को 15 दिवस की चेतावनी देकर एक ओर नोटिस जारी कर दिया।
जिस पर संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा की ” प्रदेश के गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से वंचित करने को लेकर निजी स्कूल और शिक्षा विभाग सुनियोजित षडयंत्र रच रहे है, विधार्थी दो महीनो की शिक्षा से पहले ही दूर हो चुके है और अब शिक्षा विभाग कार्यवाही करने की बजाय निजी स्कूलों को 15 दिवस की चेतावनी का नोटिस जारी कर दिया है जिससे ओर 15 दिवस तक विधार्थी शिक्षा से दूर हो सके और फिर 16 वें दिन एक और चेतावनी नोटिस जारी कर दिया जायेगा ऐसे करते हुए विद्यार्थियों का पूरा साल खराब हो जाएगा और अभिभावकों के सपने सपने ही बनकर रह जायेगे।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की जयपुर जिला शिक्षा विभाग और निजी स्कूल संचालक मिलकर गरीब और जरूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षा से दूर रख रहे है, शिक्षा विभाग ने अपनी दिखानी खानापूर्ति करने के लिए नोटिस षडयंत्र का खेल अपना रखा है, एक नोटिस की मियाद पूरी होती नही उससे पहले दूसरा नोटिस जारी हो जाता है। जयपुर जिला शिक्षा विभाग अब तक 15 नोटिस जारी कर चुका है किंतु कार्यवाही बिलकुल भी नही कर रहा है जिससे स्पष्ट होता है की प्रदेश के शिक्षा विभाग में केवल निजी स्कूलों को संरक्षण देने का षड्यंत्र रचा जा रहा है, अभिभावकों और विद्यार्थियों की शिकायतों को कचरे के डब्बों में डाला जा रहा है। 14 नोटिसों से अब तक विद्यार्थियों की 2 महीनो की शिक्षा को छीन लिया गया और अब 6 सितंबर को 15 वां नोटिस जारी कर विद्यार्थियों और 15 दिनों की शिक्षा से वंचित रख दिया गया। यह सुनियोजित खेल दीपावली तक ऐसे ही चलता रहेगा इसके बाद अर्धवार्षिक परीक्षा हो जायेगी तो स्कूल आधे सत्र की पढ़ाई पूरी होने का हवाला देकर शिक्षा का अधिकार अनिनियम कानून के तहत एडमिशन प्राप्त बच्चों की पूरे सालभर की पढ़ाई से वंचित कर देते है जिसे शिक्षा विभाग भी स्वीकार कर लेता है। पिछले सत्र में भी मामला कोर्ट में था जिस पर पूरा साल खत्म होने के दो माह पहले कोर्ट ने आदेश दिया था जब तक विद्यार्थियों का पूरा साल खराब हो चुका था। ठीक वैसे वर्तमान सत्र से गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के लिए स्कूल, सरकार और प्रशासन मिलकर षडयंत्र रच रहे है।