सत्य की राह पर भेड़ों की भीड़ नहीं मिलती…अंतर्मना गुरुदेव प्रसन्न सागर जी महाराज

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सत्य की राह पर भेड़ों की भीड़ नहीं मिलती…अंतर्मना गुरुदेव  प्रसन्न सागर जी  महाराज                    योग गुरु रामदेव बाबा ने परम पूज्य गुरुदेव अंतर्मना गुरुदेव  प्रसन्न सागर जी  महाराज श्री से  तरुण सागरम् तीर्थ पर आशीर्वाद प्राप्त किया

औरगाबाद नरेंद्र /पियुश जैन अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज एवं उपाध्याय पियूष सागरजी महाराज ससंघ तरुणसागरम तीर्थ पर वर्षायोग हेतु विराजमान हैं आज योग गुरु रामदेव बाबा ने परम पूज्य गुरुदेव अंतर्मना गुरुदेव  प्रसन्न सागर जी  महाराज श्री से  तरुण सागरम् तीर्थ पर आशीर्वाद प्राप्त किया उनके साथ में
मनोज त्यागी संस्कार, आस्था चेनल
सीईओ
ओर  एसके जेन तिजारा जी मिडिया प्रभारी पतंजलि आदि की उपस्थिति थी उनको सभी को संबोधित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज ने कहा कि
ह़क की बात बोलने के लिए कलेजा चाहिए..
तलवे चाटने वाले के लिये, एक जीभ ही बहुत है..!
यह ज़िन्दगी एक अमानत है। सावधान रहिये! चित्त की चौकसी ही परम ज्योति को पाने का द्वार है। अभी तुम एक पत्थर हो। परमात्मा के घटते ही सब पत्थर प्रतिमाएं बन जाते हैं। तुम प्रतिमा बन सकते हो क्योंकि तुममे प्रभु बनने की प्रतिभा है। प्रभु बनना है तो मन को माजना होगा। केवल तन को माजना ही पर्याप्त नहीं है। तन को क्यों माजना? तन को माजना तो ऐसा ही है जैसे —
 कोयला धोया दूध से, निकला इतना सार।
 कोयला तो उजला नहीं, दूध गया बेकार।।
मन को माजो तो कोई बहादुरी होगी। मन को माज कर ही तो कोई वीर, अतिवीर और महावीर बन पाता है। सिकन्दर जैसे विश्व विजेता तो इस पृथ्वी पर बहुत हुए, लेकिन मन के किले पर फतह करने वाले महावीर तो कुछेक ही है। सिकन्दर “विश्व-विजेता” का प्रतीक है तो महावीर “आत्म-विजय” के प्रतीक हैं। सिकन्दर और महावीर में बस इतना ही अन्तर है कि एक विश्व विजेता है परन्तु स्वयं से हारा है,, दूसरा आत्म विजेता है मगर विश्व का मसीहा है। जो जाग गया, वह महावीर बन गया और जो ना जाग पाया, सोये सोये जिया और सोये सोये ही मर गया, वह सिकन्दर बन गया। कहीं आप सिकन्दर तो नहीं है–?
क्योंकि – सच्चाई के रास्ते पर चलने में ही फायदा है।
क्योंकि – सत्य की राह पर भेड़ों की भीड़ नहीं मिलती…!!!       नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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