सत्य आचरण व त्याग से आता है: आचार्य प्रमुख सागर

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डिमापुर: सत्य विनय से निकलता है। आक्रोश में बोलने वाला सत्य नहीं बोल सकता है। सत्य सती नारी के समान है तो झूठ वेश्या के समान है। सत्य संवाद में जीता है, असत्य विवाद में जीता है। सत्य को पाने की आकांक्षा, भौतिक पदार्थ सुखो की आकांक्षाओ को समाप्त कर देती है। सत्य बोलने वाला कुछ संभाल कर नहीं रखता है। जबकि झूठ बोलने वाला सब कुछ संग्रह करके रखता है। सत्य कहने से नहीं आचरण व त्याग से आता है। आपने कहा कि सत्य वही उत्तम है जिससे सुख-शांति की प्राप्ति होती है।यदि सत्य बोलने से कलह और अशांति को जन्म मिलता है तो उससे अच्छा है मोन रहना। यह उक्त बातें आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ने डिमापुर में पर्युषण पर्व के अवसर पर चल रहे आध्यात्मिक श्रावक संस्कार साधना शिविर में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अपनी आत्मा को शुद्ध अवस्था तक ले जाना और शुदॄ अवस्था में पहुंच जाना उत्तम सत्य का ही काम है। इससे पूर्व आज प्रातः आचार्य श्री के मुखारविंद से श्रीजी की शांतिधारा, अभिषेक आदि कार्यक्रम संपादित किए गए। यह जानकारी पुष्पप्रमुख वर्षा योग समिति डिमापुर के मीडिया सयोंजक राजेश एलानी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति मे दी गई है।।

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