आर के पुरम जैन समाज का साहसिक निर्णय
नई दिल्ली (मनोज जैन नायक) जैन सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक जैन श्रावक को सप्त व्यसनों का त्याग करना चाहिए । यदि कोई जैन व्यक्ति सप्त व्यसनी है तो वह किसी प्रकार से जैन सिद्धांतों का पालन करता हुआ प्रतीत नहीं होता है ।
नई दिल्ली के आर के पुरम सेक्टर 4 की जैन समाज ने एक साहसिक निर्णय लिया है कि सप्त व्यसनी व्यक्ति को मंदिर कमेटी की प्रबंधकारिणी में कोई स्थान नहीं दिया जाएगा । यह एक साहसिक, प्रशंसनीय एवम ऐतिहासिक निर्णय हैं । अन्य स्थानों की जैन समाज को भी इनसे सीख लेते हुए अपने यहां भी इस तरह के निर्णय लेने चाहिए ।
मुनीरिका दिल्ली से रमेशचंद जैन (खबरोली वाले) ने जानकारी देते हुए बताया कि विगत दिवस जैन सभा आर के पुरम नई दिल्ली की कार्यकारिणी की बैठक हुई । बैठक में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को विन्यांजली दी गई । साथ ही सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि स्थानीय समाज का कोई भी व्यक्ति जो सप्त व्यसनों में लिप्त है, उस व्यक्ति को जैन सभा (मंदिर कमेटी) की प्रवंधकारिणी में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं होगी । यानीकि सप्त व्यसनी कोई भी व्यक्ति जैन सभा आर के पुरम का सदस्य नहीं बन सकता ।
सभी लोगों ने आर के पुरम समाज के इस साहसिक निर्णय की खूब प्रशंसा की है और इस तरह का निर्णय लेने के लिए समाज को बधाई दी ।