सन्यासी को संसार के भौतिक सुखों की आवश्यकता नहीं है

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चतुर्थ पटाधीश आचार्य सुनील सागर महाराज/
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान
4 दिसंबर शनिवार 2024 खमेरा ग्राम में सिद्ध चक्र मंडल विधान में उमड़े अपार जैन बंधु
आचार्य आदि सागर अंकलीकर महाराज के चतुर्थ पटाधीश आचार्य सुनील सागर महाराज ने बताया
मेरे गुरु आचार्य सन्मति सागर द्वारा बताया गया है की सत्य अहिंसा सदाचार ही जीवन का सबसे बड़ा श्रृंगार हैं जो सदाचार शाकाहारी जीवन जीते हैं उनका जीवन सदा ही मंगलमय रहता है
आज इस पंचम काल में भी धरती के लोग तो साधुओं का सत्कार व सम्मान बहुत करते हैं जैन साधु जीवन जीने का मार्ग बतलाते हैं
मेरे गुरु चक्रवर्ती आचार्य सन्मति सागर महाराज अपने सन्यासी शिष्यों को अधिक से अधिक आत्मध्यान की प्रेरणा देते थे
आधुनिक भौतिक उपकरणों का न खुद उपयोग करते थे ना शिष्यों को सलाह देते थे एक बार एक अपरिचित त्यागी लंबी यात्रा करके उनके दर्शन करने के लिए गए और उनके एक शिष्य से कहा कि मेरे भक्त मुझे महंगे महंगे उपहार लाकर देते हैं और तुम्हें तो कोई कुछ भी लाकर नहीं देता है इस बात को सुनकर विरक्ति और त्याग की पराकाष्ठा को प्राप्त कर चुके
गुरुवर ने कहा की बीमारी को ही इंजेक्शन की जरूरत होती है हम तो स्वस्थ हैं याने स्व स्थित है
सांसारिक सुखों के त्यागी को भौतिक सुख ललचा नहीं पाते हैं त्यागी को आत्मा में ही इतना सुख मिल जाता है फिर संसार का हर सुख उसके सामने बौना लगने लगता है यही सलामत पैरों वाला कोई व्यक्ति बैसाखियों को देखकर ललचाए तो उसकी बुद्धि पर तरस आता है यह तो ठीक है ऐसे है जैसा कोई प्रधानमंत्री को कहे किंतु प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दो मैं तुम्हें अपने गांव का सरपंच बना दूंगा
अपार
अपार जनसमूह को मुनि ने संबोधित करते हुए अपना सभी भक्तों को आशीष दिया
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान

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