संयम जीवन का प्राण : उपाध्याय विशेषसागर

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सर्वज्ञ तीर्थ पुसेगांव में उत्तम संयम धर्म के शुभावसर पर प.पू. उपाध्याय श्री 108 विशेषसागर जी गुरुदेव ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा संयम जीवन का प्राण है। संयम बंधन नहीं अपितु संसार से पार होने का महामंत्र है, संयम खेल नहीं साधना है। भव-भव के पुण्योदय से ही संयम धारण करने के भाव होते हैं। आप लो सौभाग्य शाली हो कि इस पंचम काल में भी सच्चे दिगम्बर संतों का दर्शन प्राप्त हो रहा है। यह इस काल का सबसे बड़ा चमत्कार है।
आज के करोड़ो वर्ष पूर्व अयोध्या में आदिकुमार नामक एक राजा हुए जिनके भरत, बाहुबली आदि 101 पुत्र व २ पुत्री हुई। भरत को अयोध्या का व बाहुबली को पोदनपुर का राज्य प्राप्त हुआ था बाहुबली कुमार न्याय नीति पूर्वक पुजा का पालन पोषण कर रहे थे। काफी समय तक उन्होने पोदन‌पुर का राज्य किया, एक दिन उन्हें संसार की असारता का बोध हो गया कि संसार में कोई सार नहीं, कोई किसी का नहीं है जब यह शरीर भी अपना नहीं है फिर यह कुटुंब परिवार अपने कैसे हो सकते योग्य समय देख उन्होंने राज्य-परिवार का त्याग कर संयम को धारण कर एक वर्ष तक एक ही आसन में ध्यान कर, कैलास पर्वत से निर्वाण प्राप्त किये। पुसेगांव सर्वज्ञ तीर्थ क्षेत्र में महाराष्ट्र की प्रथम 31 फुट उतुंग बाहुबली भगवान की मूर्ति का दिनांक 18 फरवरी से २२ फरवरी २०२६ तक श्री 1008 आदिनाथ जिनबिंब पंच कल्याणक प्रतिष्ठा, अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन किया गया है आप भी इस महामहोत्सव में सौधर्म इंद्र , माता-पिता, विशेष इंद्र अथवा सामान्य इंद्र बनकर पूण्यार्जण करें।

✍️विनोद रोकडे जैन

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