संतो की भूमी सनावद – उपाध्याय श्री

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संतों की भुमी सनावद में १० वर्ष के पश्चात प.पू. गणाचार्य श्री १०८ विरागसागर जी महाराज के सूशिष्य प.पू. उपाध्याय श्री विशेष सागर जी महाराज ससंघ का दिनाक २१-०४-२०२५ को प्रात: मंगल प्रवेश हआ जगह – जगह श्रद्धालओं ने उपाध्याय श्री के पाद प्रक्षालन किये| ,
इस अवसर पर पू. उपाध्याय श्री ने धर्मसमा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सनावद की भूमि अपने आप में पावन पवित्र है इस भूमी ने आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज आदि १८ संतो को जन्म देने का सौभाग्य प्राप्त किया है। सनावद वासि महा भाग्यशाली है क्योंकि समय-समय पर आपको संतों का समागम व सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है। दस वर्ष ४ माह पूर्व इंदौर से बिहार करते हुए यहाँ आना हुआ था ,यहाँ से महाराष्ट्र की और मंगल बिहार हुआ था कैसा योग बना महाराष्ट्र से पुनः इंदौर की और बिहार करते हुए आज पुनः धर्म नगरी सनावद में आगमन हुआ।

ज्ञातव्य हो कि पू. उपाध्याय श्री के प्रेरणा से महाः प्रांत में २०-२२ मंदिरों का जिर्णोद्धार व प्रतिष्ठा संपन्न हुआ । पू. उपाध्याय श्री ससंघ इंदौर कार्यक्रम के पश्चात पुनः महाराष्ट्र, की और मंगल बिहार करेंगे । शाम ५:०० बजे संघ का बिहार सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकुट की और हुआ | दिनांक २२-४ को प्रातः उपाध्याय श्री ससंघ का आचार्य विशुद्धसागर ससंघ से मंगल मिलन होगा |

✍️विनोद रोकडे जैन मालेगांव

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