सांसारिक जीवन में सहनशीलता एक अदभुद गुण है – मुनिश्री विनयसागर

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डबरा (मनोज जैन नायक) अरिहंत वर्षा योग 2025 चातुर्मास श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर कस्टम रोड पर राष्ट्र संत जिन मंदिर जीरणॊधारक मुनि श्री 108 विनय सागर जी महाराज के सानिध्य में चल रहा है । 35 दिवशीय नवकार विधान में मित्रों के द्वारा णमोकार की महिमा का गुण अनुवाद किया गया तथा मुनिश्री ने अपनी वाणी से लोगों को बताया कि मानव जीवन में सहनशीलता एक अद्भुत गुण है। यह वही शक्ति है जो रिश्तों को जीवित रखती है, संवाद को सौम्यता प्रदान करती है और जीवन के कठिन क्षणों को सहज बना देती है। किंतु सहनशीलता की भी एक सीमा होती है। व्यक्ति जितना अधिक धैर्यवान होता है, उतना ही वह चोटों को भीतर सह लेता है। परंतु जब पीड़ा उसकी आंतरिक सहन-शक्ति की सीमा को लांघ जाती है, तब वही शांत व्यक्ति अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्निर्धारण करने लगता है।

रिश्तों का आधार केवल भावनात्मक जुड़ाव ही नहीं, बल्कि आपसी सम्मान, समझ और संवेदनशीलता भी है। जब कोई संबंध बार-बार उपेक्षा, अविश्वास या आघात का कारण बने, तब सहनशील व्यक्ति भी धीरे-धीरे उस बंधन से मानसिक दूरी बनाने लगता है। ऐसे समय में उसके लिए रिश्तों का महत्व उतना नहीं रह जाता, जितना पहले था। यह कोई कटुता का भाव नहीं, बल्कि आत्म-संरक्षण का स्वाभाविक प्रयास है।

इतिहास और शास्त्र भी इस सत्य की पुष्टि करते हैं। महाभारत में भीष्म पितामह ने अपने जीवन में असीम धैर्य और कर्तव्य-निष्ठा दिखाई, परंतु जब सीमा लांघी गई तो उन्होंने भी मौन रहते हुए संबंधों और परिस्थितियों को अपने मार्ग पर छोड़ दिया। यही संकेत है कि सहनशीलता का अर्थ स्वयं को समाप्त करना नहीं, बल्कि संतुलन के साथ अपनी गरिमा को बचाए रखना है।

जीवन में एक समय ऐसा आता है जब व्यक्ति यह समझ जाता है कि आत्मसम्मान और मानसिक शांति किसी भी रिश्ते से अधिक मूल्यवान हैं। जब तक सहनशीलता से संबंध में सुधार की संभावना हो, तब तक धैर्य उचित है, परंतु जब सहनशीलता का दुरुपयोग होने लगे तो मौन और दूरी ही सबसे श्रेष्ठ उत्तर बन जाते हैं। यही वह क्षण है जब व्यक्ति न अपनों की आवश्यकता से बंधा रहता है, न रिश्तों की अनिवार्यता में उलझा—वह केवल अपने अस्तित्व की रक्षा करता है।

यही जीवन का गूढ़ संदेश है—सहनशीलता एक महान गुण है, परंतु इसका अंधा पालन नहीं; बल्कि इसका विवेकपूर्ण प्रयोग ही सच्ची आत्म-पूर्ति और संतुलित जीवन का मार्ग है।
श्री मति शशि जैन अमित कुमार जीतेंद्र कुमार मनीष कुमार आरव नित्या हितांशी जैन रजियार परिवार द्वारा पारस नाथ भगवान के मोक्ष कल्याण दिवस के अवसर पर प्रथम लाडू चढ़ा या
,मुनि श्री के सानिध्य में महा आरती व संस्थाओं के द्वारा मंगलाचरण तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जा रहे हैं और शास्त्री विजय जैन जी के द्वारा अपनी मंगल में वाणी से सभी को धर्म लाभ मिल रहा है मंत्री विजय जैन रजियार अध्यक्ष राजेन्द्र जैन, कोमल जैन दीपक जैन ,वीरेंद्र, नरेश चौधरी अनिल टाटा राजू जैन रितेश जैन अरविंद जैन मोहन बाबू राजेंद्र सुभाष रॉकी जैन, हेमंत, मनोज रोहित जैन नितिन जैन देवेंद्र,राजेश जीतू चंद्रशेखर ,रिंकू ,दिनेश जैन अधिवक्ता प्रेमचंद जैन पम्मी ,विवेक, आदि उपस्थित रहे

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