संसार से मुक्ति पाने के लिए विचारों की शुद्धि आवश्यक है-मुनिश्री विबोधसागर
पंच परमेष्ठि प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता 26 सितम्बर को होगी
मुरैना (मनोज जैन नायक) जैन दर्शन में अंतरंग की शुद्धता पर ध्यान दिया जाता है, न कि बाहरी आवरण पर । यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन पूजा पाठ और भक्ति करता है लेकिन उसके अंतरंग में शुद्धि नहीं है तो उसको पूजा पाठ भक्ति के सार्थक परिणाम प्राप्त नहीं होगें । जैन दर्शन में बाहरी दुनिया के त्याग से पहले अपने आंतरिक विचारों और इच्छाओं पर नियंत्रण पाना आवश्यक है । अंतरंग विचारों का त्याग करके ही व्यक्ति कर्मों के बंधन से मुक्त हो सकता है और अपनी आत्मा के वास्तविक स्वरूप को पहचान सकता है । जैन दर्शन में अंतरंग विचार से तात्पर्य आत्मा से जुड़े वे विचार हैं जो कर्म के बंधन में फँसाते हैं, जैसे क्रोध, मान, माया, लोभ और वासनाएँ । इन अंतरंग विचारों के कारण ही व्यक्ति बाहरी वस्तुओं का संग्रह करने लगता है और आत्मज्ञान के पथ से विमुख हो जाता है । इन विचारों पर अंकुश लगाकर ही व्यक्ति इस संसार सागर से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ सकता है । आंतरिक भावनाएँ और प्रवृत्तियाँ जो मनुष्य को भौतिक और भावनात्मक बंधनों में बांधती हैं, जिससे आत्मा कर्म से जुड़ जाती है।
जैन मित्र मण्डल ने लिया युगल मुनिराजों का आशीर्वाद
जैन मित्र मण्डल ने आज परम पूज्य गुरुदेव मुनिश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज के श्री चरणों में श्रीफल अर्पित करते हुए 21 सितम्बर को होने जा रहे सामूहिक क्षमावाणी स्नेह मिलन समारोह एवं श्रद्धेय बुजुर्ग बंधुओं का बहुमान समारोह में सान्निध्य प्रदान करने हेतु निवेदन किया ।
पूज्य गुरुदेव ने जैन मित्र मण्डल के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि प्रत्येक सामाजिक व्यक्ति को सदैव देश, धर्म और समाज हित में कार्य करना चाहिए । कोई भी समाज तभी उन्नति की ओर अग्रसर होता है जब उस समाज में एकता और सामंजस्य की भावना होती है । बिखरती हुई समाज कभी भी उन्नति नहीं कर सकती । मुरैना को धर्म नगरी, संस्कारधानी और विद्वानों की नगरी कहा जाता है । सराकोद्धारक आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज के सिद्धांतों और उपदेशों का पालन करते हुए आप सभी को एक सूत्र में बंधकर सामाजिक सौहार्द, एकता और सामंजस्य के साथ देश धर्म और समाज हित में कार्य करना चाहिए । मेरा आप सभी को आशीर्वाद है ।
पंच परमेष्ठि प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का होगा आयोजन
युगल मुनिराजों की पावन प्रेरणा एवं आशीर्वाद से श्रावकों को धार्मिक ज्ञान एवं जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से तीन तीन बार तीर्थंकर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन हो चुका है ।
प्रतियोगिता के संयोजक डॉक्टर मनोज जैन एवं विमल जैन बबलू द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार आगामी 26 सितंबर को पूज्य युगल मुनिराजों के पावन सान्निध्य में पंच परमेष्ठि प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है । जिसमें सभी श्रावक श्राविकाएं एवं बच्चे सम्मिलित होगें । उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सभी प्रतियोगियों का बहुमान किया जाएगा ।