इंदौर। जब तक जीव को संसार के सुख कीमती लग रहे हैं तब तक उसे सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, और सम्यक चारित्र की ना तो कीमत समझ में आएगी और ना ही इन त्रय रत्नोकी प्राप्ति हो पाएगी।
यह उद्गार छाबड़ा जी की नसिया गांधीनगर में चातुर्मास कर रहे। श्रंमण संस्कृति के महामहिम पट्टाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिश्री सुयश सागर जी महाराज ने ग्रंथ राज पद्मपुराण की गाथाओं
पर प्रवचन देते हुए व्यक्त किये। मुनि श्री ने आगे कहा कि संसार का वैभव
नाशवान है और पर द्रव्यों पर दृष्टि संसार बढ़ाने वाली है इसलिए जीव को संसार से विरक्त होने के लिए परिग्रह एवं जड़ आभूषणो का त्याग कर चैतन्य आभूषणो को प्राप्त करने के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए।
धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि मुनि श्री के प्रवचन प्रतिदिन प्रात 9:00 बजे छावड़ा जी की नसिया गांधीनगर में हो रहे हैं। धर्म सभा में तरुण भैया, संजय बाकलीवाल, डाक्टर जैनेंद्र जैन , शांतिलाल बड़जात्या, महेश जैन डॉ वंदना जैन आदि काफी संख्या में श्रद्धालु पुरुष एवं महिलाएं उपस्थित थे।
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