सांगानेर चित्रकूंट कालोनी में विराजमान आचार्य सुंदर सागर के पावन सानिध्य में भगवान पार्श्वनाथ को 23 किलो का निर्वाण लड्डू अर्पित
भगवान पार्श्वनाथ से सीखे संकट में धैर्य रखना
आचार्य सुन्दर सागर
मुनि संघ के साथ 23 बालिकाओं ने भी रखा उपवास
फागी संवाददाता
जयपुर। 31 जुलाई – सांगानेर स्थित चित्रकूट कॉलोनी के महावीर दिगंबर जैन मंदिर में पावन वर्षायोग वाचना में विराजमान आचार्य सुंदर सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में गुरुवार को जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक के मौके पर भक्ति भाव से 23 किलो का निर्वाण लाडू चढाकर पूजा अर्चना की गई । कार्यक्रम में मंदिर समिति के अध्यक्ष अनिल जैन काशीपुरा व मंत्री मूलचंद पाटनी ने बताया कि प्रातःकालीन वेला में भगवान पारसनाथ की खड्गासन प्रतिमा पर दूध, दही, घी, बूरा, चंदन व फलों के रस से पंचामृत अभिषेक किया गया एवं गुलाब के फूलों से पुष्प वृष्टि की गई।
आर्यिका सुलक्ष्मति माताजी के मुखारविंद से भगवान पारसनाथ की साज बाज के साथ पूजा अर्चना की गई एवं आत्म कल्याण व मोक्ष प्राप्ति की भावना के साथ अष्ट द्रव्य अर्पित किए गए,समाज श्रेष्ठि श्रीमती प्रेमलता – अशोक कुमार, सुशील कुमार सोगानी आंधिका परिवार द्वारा भगवान के समक्ष 23 किलो का निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। राजेंद्र कुमार, प्रद्युम्न कुमार बजाज चाकसू वाले परिवार द्वारा शांति धारा की गई , इस अवसर पर आचार्य श्री ने श्रृद्धालुओं से कहा कि भगवान पारसनाथ का जीवन आध्यात्मिक ज्ञान और वैराग्य का प्रतीक है। भगवान पारसनाथ के ऊपर घोर उपसर्ग होने के बाद भी वे अपने ध्यान व तप से विचलित नहीं हुए हुए तथा घातियां कर्मों का नाश कर मोक्ष को प्राप्त किया पारसनाथ भगवान के जीवन से शिक्षा मिलती है कि संकट आने पर हमें घबराना नहीं चाहिए अपितु धैर्य के साथ उनका मुकाबला करना चाहिए। जो व्यक्ति अपने जीवन में धैर्य रखते हैं वह बड़े लक्ष्य को प्राप्त करते हैं कार्यक्रम में मोक्ष सप्तमी पर निर्वाण लड्डू चढ़ाने का महत्व बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि लड्डू चढ़ाने से आत्मा की प्रीति बढ़ती है और परमात्मा बनने की राह आसान होती है,साथ ही यह दिन भगवान पारसनाथ की मोक्ष प्राप्ति का दिन है और उनकी पूजा अर्चना करने से हम मोक्ष प्रताप प्राप्ति के लिए प्रेरित होते हैं साथ ही भगवान की पूजा करने से विनय भाव बढ़ता है जो कि मोक्ष का द्वार है भगवान पारसनाथ आत्म संयम व धैर्य के प्रतीक है, कार्यक्रम में
23 बालिकाओं ने उपवास रखा एवं आचार्य सुंदर सागर महाराज सहित संघ के 15 साधुओं ने उपवास रखा , उनके साथ ही करीब 23 बालिकाओं ने भी उपवास रखा कार्यक्रम में समन्वयक महावीर सुरेंद्र जैन एडवोकेट ने बताया कि मोक्ष सप्तमी पर कुंवारी बालिकाएं यह उपवास रखती है। पांच वर्ष से 16 वर्ष की आयु की 23 बालिकाओं ने उपवास रखा है। संयोजक सुनील जैन व राहुल सिंघल ने बताया कि मंदिर के द्वितीय तल पर भगवान पार्श्वनाथ की खड्गासन प्रतिमा पर जब जैन धर्मावलंबी अभिषेक कर
रहे थे उसी समय इंद्र देव भी जम कर बरस रहे थे ऐसे लगा रहा था कि इंद्र देव स्वयं भगवान का अभिषेक करने आ रहे है।भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन मनाया जाता है, जो जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर के रूप में पूजनीय हैं। उनकी मोक्ष कथा के अनुसार, पार्श्वनाथ ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया और अंततः सम्मेद शिखरजी पर मोक्ष प्राप्त किया भगवान पार्श्वनाथ के जीवन के अंतिम समय में, उन्होंने सम्मेद शिखरजी पर तपस्या की और अपने घातिया कर्मों का नाश किया। इस दौरान उन्हें कई उपसर्गों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी ध्यान अवस्था में कोई विक्षेप नहीं आने दिया। अंततः, श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन प्रातःकाल के समय विशाखा नक्षत्र में सिद्धपद को प्राप्त हो गए। इन्द्रों ने आकर मोक्ष कल्याणक उत्सव मनाया।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान